चैत्र नवरात्रों के क्रम में आज पंचमी तिथि की अधिष्ठात्री देवी स्कंद माता का पूजन किया जाएगा। आज बुधवार को पंचमी तिथि दोपहर 3:36 तक व्याप्त रहेगी उसके पश्चात छठवीं का प्रवेश होगा । आज की पंचमी तिथि विशेष महत्व की हो गई है क्योंकि अहो रात्रि तक सर्वार्थ सिद्धि योग विद्यमान रहेगा। प्रातः 10:34 से रवि योग का समावेश पंचमी तिथि को बलवान बना रहा है। मान्यता हैं कि पंचमी की अधिष्ठात्री देवी स्कंदमाता की कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से अभिहित किया गया है। इनके विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं। इस देवी की चार भुजाएं हैं।
यह दायीं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बायीं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। देवी पुराण के अनुसार पंचमी तिथि के दिन देवी को केले का नैवेद्य अर्पित करने से बुद्धि का विकास होता है तथा शिक्षा एवं ज्ञान के रास्ते प्रशस्त होते हैं। शास्त्रों में इसका पुष्कल महत्व बताया गया है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है। यह देवी विद्वानों और सेवकों को पैदा करने वाली शक्ति है। यानी चेतना का निर्माण करने वालीं। कहते हैं कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत रचनाएं स्कंदमाता की कृपा से ही संभव हुईं। पंचमी तिथि में मां सरस्वती की विशिष्ट पूजा करने का विधान भी देवी पुराण में बताया गया है।। ज्योतिविद राजेश साहनी