भारत देश में वैसे तो किसी को जल्दी फांसी नहीं दी जाती, लेकिन जिस किसी का अपराध काफी बड़ा होता है, तो उसे फांसी देना जरूरी हो जाता है। किसी भी अपराधी को फांसी देना इतना आसान नहीं होता, जितना हम सोचते है. फांसी देते समय कई नियमों का पालन करना पड़ता है। हमारे देश में फांसी की सजा बहुत ही कम लोगो को दी जाती है। लेकिन जब भी किसी अपराधी को फासी दी जाती है तो फांसी देने से पहले जल्लाद पहले उसके कान मे कुछ कहता है फिर अपराधी को फांसी देता है।
जब किसी अपराधी को फांसी दी जाती है तो उस समय वह पर बहुत कम व्यक्ति मौजूद होते है, जैसे जल्लाद, जेल अधीक्षक, डॉक्टर और एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट मौजूद होते है। इसके बिना भारत में किसी को भी फांसी की सजा नहीं दी जा सकती है। वैसे हमारे देश मे फांसी देने के लिए महज दो ही जल्लाद है। जिनहे सरकार महीने का 3000 रूपये देती है, लेकिन किसी आतंकवादी को फांसी देने के लिए इन्हे ज्यादा पैसे दिए जाते है। इंदिरा गाँधी की हत्या करने वाले अपराधी को फांसी देने के लिए जल्लाद को करीब 25,000 रूपये दिए गए थे। किसी भी अपराधी फांसी देने से पहले जल्लाद उसके कान मे कहता है की झे माफ़ कर दो. हिन्दू भाई को राम-राम और मुस्लिम भाई को सलाम, हम क्या कर सकते है, हम तो हुकुम के गुलाम है। इतना कहकर जल्लाद फांसी का फंदा खिंच लेता है।