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पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं यहां के लोग, ताले में रखते हैं पानी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 17 2020 2:23PM | Updated Date: Jul 17 2020 2:23PM
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बाड़मेर। पाकिस्तान की सरहद से सटे राजस्थान के रेगिस्तानी जिले बाड़मेर में तापमान बढ़ने के साथ-साथ पानी की समस्या विकराल होती जा रही है। सरहदी गांवों में ग्रामीण पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं। पानी की विकट समस्या के कारण गांवों में पलायन की स्थिति बन गई है। गांवों में पारंपरिक पेयजल स्रोत सूख गए हैं। 
 
लगातार छठे साल पड़े अकाल के कारण पारंपरिक कुएं, तालाब, बावड़ि‍यों, बेरियों तथा टांकों का पानी सूख चुका है। हालात यह है कि जिले के करीब 860 गांव पेयजल की किसी योजना से जुड़े नहीं हैं। इन सिंचित, असंचित गांवों में प्रशासन द्वारा पानी के टेंकरों की व्यवस्था की गई है, मगर, यह महज खानापूर्ति तक ही सीमित है। गांवों में टैंकर पहुंच ही नहीं पा रहे हैं। ऐसे में गांवों में लोगों ने पानी पर पहरेदारी शुरू कर दी है।
जिले के सीमावर्ती क्षेत्र चौहटन के विषम भोगोलिक परिस्थितियों में बसे गफनों के 13 गांवों में पेयजल की सबसे बडी समस्या है।
 
इन 13 गांवों- रमजान की गफन, आरबी की गफन, तमाची की गफन, भोजारिया, भीलों का तला, मेघवालों का तला, रेगिस्तानी धोरों के बीच बसे हुए हैं। इन गांवों में पहुंचने के लिए कोई रास्ता तक नहीं है। ऐसे में ग्रामीण अपनी छोटी-छोटी पानी की बेरियों पर ताले लगा कर रखते हैं। तालों के साये में पानी रखना यहां की परम्परा और जरूरत है। इन गांवों के लोग पानी की एक-एक बूंद की कीमत और उपयोगिता जानते हैं।
 
पानी के कारण गांवों में होने वाले झगडों के कारण ग्रामीण मजबूरी में पानी को सुरक्षित रखने के लिए ताले लगा कर रखते हैं ताकि पानी चोरी न हो जाए। मगर, इस बार पानी की जानलेवा किल्लत ने ग्रामीणों को पानी की सुरक्षा के लिए पहरेदारी का सहारा लेने पर मजबूर कर दिया। तमाची गांव के सलाया खान निवासी ने बताया कि टांकों पर ताले जड़ने के बाद भी पानी चोरी हो जाता है। पानी की समस्या इस कदर है कि ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डाल कर पानी चोरी कर ले जाते हैं। चोरों का पता लगाने का प्रयास भी किया मगर सफलता नहीं मिली, तो ग्रामीणों ने पंचायत बुलाकर निर्णय लिया कि परंपरागत रूप से बनी पानी की बेरियो पर बारी-बारी पहरेदारी की जाए। 
 
इन गांवों में पानी की बेरिया बनी है। सभी बेरियों पर लोगों ने अपने अपने ताले जड़ रखे हैं। रासबानी के जुम्मा खान के अनुसार पानी की भयंकर किल्लत है। यहां सरकारी पेयजल योजनाओं से पानी की आपूर्ति हुए वर्षों बीत गए। निजी टैंकरों की कीमत प्रति टेंकर हजार रुपए है जिसे देने की स्थति में ग्रामीण में नहीं हैं। प्रशासन को कई बार लिखित और मौखिक रूप से पानी की समस्या के बारे में बता चुके हैं मगर कोई समाधान नहीं निकल रहा। पानी की होदियों में पानी कभी आया ही नहीं। कोई नहीं सुनता। 
 
रमजान की गफन गांव के अली मोहम्मद ने बताया की पानी की सुरक्षा की इससे बेहतर व्यवस्था नहीं हो सकती। प्रत्येक परिवार अपनी बेरी के साथ अन्य बेरियो की पहरेदारी करता है ताकि पानी चोरी न हो। उन्होंने बताया कि चालीस किलोमीटर के दायरे में पेयजल का कोई स्रोत नहीं है। पानी का एक टैंकर टांके में डलवाते हैं, तो प्रति टैंकर एक हजार रूपए का खर्चा आता है।
 
ऐसे में पानी चोरी होने से आर्थिक नुकसान के साथ पानी की समस्या भी खड़ी हो जाती है। हालांकि, इस समस्या और ग्रामीणों द्वारा की जा रही सुरक्षा व्यवस्था पर कोई प्रशासनिक अधिकारी बोलने को तैयार नहीं। मगर,यह सच है कि रेगिस्तानी इलाकों में प्रशासनिक लापरवाही और उपेक्षा के चलते ग्रामीणों को पानी की सुरक्षा करना पड़ रही है। 
 
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