नई दिल्ली। गधी के दूध से पनीर बनाने का काम यूरोपीय देश सर्बिया के एक फॉर्म में होता है। उत्तरी सर्बिया में स्थित इस फॉर्म को जैसाविका के नाम से जाना जाता है। यहां पर 200 से ज्यादा गधे पाले गए हैं। भारत में एक जर्सी गाय एक दिन में 30 लीटर तक दूध दे देती है, लेकिन एक गधी से एक लीटर दूध भी नहीं मिल पाता है। जिस वजह से फॉर्म में सारे गधों के दूध से सिर्फ 15 किलो तक ही पनीर बन पाता है। वैसे सभी गधों के दूध से इतना महंगा पनीर नहीं बनता है। सिर्फ बाल्कन प्रजाति के गधों का दूध पोष्टिक माना जाता है, जो सर्बिया और मांटेनेग्रो में पाए जाते हैं। सर्बिया के पनीर उत्पादकों के मुताबिक गधे और मां के दूध में एक जैसे गुण होते हैं। इसमें कई पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। अगर अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के रोगी इसका इस्तेमाल करें, तो उन्हें काफी फायदा होता है।
वहीं जिन लोगों को गाय के दूध से एलर्जी होती है, वो गधी का दूध या पनीर इस्तेमाल करते हैं। फॉर्म के मुताबिक उत्पादन कम होने से इसकी कीमतें इतनी ज्यादा हैं। 2012 में सर्बिया के टेनिस स्टार नोवाक जोकोविच के द्वारा इस पनीर के इस्तेमाल की खबर आई थी। जिसके बाद से इस पनीर की चर्चा दुनियाभर में होने लगी। हालांकि जोकोविच ने इन खबरों का खंडन किया था।