नई दिल्ली। हर देश कोरोना के कहर से कांप रहा है। चीन से निकले इस वायरस ने दुनिया की आर्थिक नीति से लेकर कूटनीति को बदल दिया है। महीनों से दुनिया वायरस को लेकर चीन से जवाब मांग रही है, लेकिन शी चिनपिंग की जुबान से एक लफ्ज नहीं निकला है।
2009 में इंग्लैंड के एक पत्रकार और शोधकर्ता मार्टिन जैक्स ने एक किताब लिखी थी, जिसका नाम था 'वैन चाइना रूल द वर्ल्ड'। इस किताब में उन्होंने बताया था कि दो दशक से पश्चिमी देशों से दबदबे में रही दुनिया 21वीं सदी में पूर्व से नए लीडर का उदय होते देखेगी और इसका सेंट्रर चीन होगा। अमेरिका समेत पश्चिमी देश में कोरोना से जिस तरह से मौत हो रही है, उससे यह बात साफ होते दिख रही है।
शी चिनपिंग दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं में से एक हैं। वह आज जहां पर खड़े उसके लिए उन्होंने लंबा सफर तय किया है। वह चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सबसे बडे़ लीडर हैं। शी चिनपिंग आज जहां खड़े हैं, वहां पहुंचने का सपना दुनिया का हर नेता देखता है। शी चिनपिंग को आज तो ताकत मिली है, वह उनके लिए एक विरासत है जिसको चीन ने अपने लोगों के नरसंहार के खून से लिखा है।
2018 के बाद शी चिनपिंग चीन के सर्वशक्तिमान नेता बन चुके हैं। वह केवल चीन के राष्ट्रपति नहीं हैं, बल्कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के जनरल सेक्रेट्री हैं, यह वो पद हैं जो शी चिनपिंग को चीन में सबसे ताकतवर बनाता है। वह चीन की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के चीफ हैं, चीन के नेशनल सिक्योरिटी कमीशन के अध्यक्ष हैं। शी चिनपिंग का ओहदा चीन में वही है जो माओत्से तुंग का हुआ करता था।
1953 में जन्में माओत्से तुंग के पिता कम्युनिस्ट पार्टी के नेता रहे हैं। उनके पिता माओ के करीबी थे और चीन के प्रधानमंत्री भी रहे हैं। हालांकि 1972 में उनके पिता को पार्टी से बाहर कर दिया गया और जेल की सजा सुना दी गई। यही नहीं शी जिंनपिंग को भी स्कूल से निकाल दिया गया था। लेकिन इसके बावजूद शी जिंनपिंग ने विद्रोह की जगह खुद को लाल झंड़े में लपेट लिया। 10 बार कोशिश करने के बाद वह पार्टी में शामिल हुए। शी जिनपिंग ने खुद बताया कि वह जवाने के दिनों में भेड़ चराते थे और गड़रिया था।
2013 में वह चीन के राष्ट्रपति बने और तभी से ड्रगैन अक्रामक हो गए। शी जिंनपिंग ने 2015 में तीन लोगों को गिरफ्तार कर उम्रकैद और मौत की सजा चुनाई। चीनी फौज के एक बड़े अफसर पर उन्होंने करप्शन का आरोप लगाया और उम्रकैद की सजा सुनाई। यहीं नहीं 2018 में शी जिंनपिंग के लिए संविधान को बदला गया और अब वह जीवनभर चीन के राष्ट्रपति बने रह सकते हैं।