ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने कोविड 19 के वैक्सीन के लिए 6 बंदरों पर ट्रायल किया था। कुछ दिनों तक इन बंदरों को ओब्सर्व किया गया। इसके बाद इस वैक्सीन को इंसानों में भी ट्राई किया गया। लोगों को इस वैक्सीन से काफी उम्मीदें थी। कहा जा रहा था कि इस वैक्सीन से इंसानों में कोरोना को रोकने में सफलता मिल जाएगी। लेकिन अब ये उम्मीद टूट गई है। जिन 6 बंदरों पर इस वैक्सीन का ट्रायल किया गया था, उन सबको कोरोना हो गया है। वैक्सीन के बावजूद इन बंदरों को वायरस ने संक्रमित कर दिया है। अब ये बंदर इस वायरस को एक से दूसरे में फैला रहे हैं।
इस ट्रायल में वैक्सीन दिए गए बंदरों के साथ नॉन वक्सीनेटेड बंदरों को भी रखा गया था। लेकिन अब इस वायरस ने सभी को संक्रमित कर दिया है। इन्फेक्टेड होने के बाद सबसे ज्यादा वायरस इनके नाक में मिला। साथ ही सभी को सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही है। हालांकि जिन बंदरों को वैक्सीन देने के बाद कोरोना हुआ उनके लंग्स को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। जबकि जिन्हें वैक्सीन नहीं दी गई, उनके लंग्स को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।
इस वैक्सीन को बनाने के लिए यूके ने 6 अरब 82 करोड़ रुपए खर्च किये थे। लेकिन बंदरों पर इस वैक्सीन के इस्तेमाल के बावजूद उन्हें संक्रमण हो गया, जिसके बाद ये वैक्सीन फेल साबित हो गया। इन नतीजों के बाद अब इंसानों में हुए ट्रायल पर लोगों की नजर है। लेकिन हॉवर्ड मेडिकल स्कूल के प्रोफ़ेसर डॉ विलियम हासेल्टीने ने फोर्बेस को दिए इंटरव्यू में कहा है कि लोगों को झूठी उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। अब शायद ही इस साल कोरोना वैक्सीन आ पाएगा। यूके के इस वैक्सीन का नाम ChAdOx1 nCov-19 रखा गया है। लेकिन अब बंदरों के नतीजों के बाद दुनिया को जोरदार झटका लगा है। उम्मीद की जा रही थी कि ये वैक्सीन कारगर साबित होगी और सितंबर में यूके 30 मिलियन वैक्सीन बना लेगा।