अमेरिका और यूरोप के देशों में ज्यादातर लोगों की आदत है कि वे टॉयलेट का यूज करने के बाद साबुन से हाथ नहीं धोते, लेकिन कोरोना वायरस की महामारी फैलने के बाद वे हाथ धोने की आदत अपना रहे हैं। यूरोप और अमेरिका में कोरोना महामारी फैलने के बाद अब लोग हाथों की सफाई को लेकर सजग हो गए हैं। वे बार-बार हाथ धो रहे हैं। साल 2015 में अमेरिकी एक्ट्रेस जेनिफर लॉरेंस ने यह कह कर लोगों को चौंका दिया था कि वे टॉयलेट जाने के बाद कभी हाथ नहीं धोतीं।
ज्यादातर भारतीय लोग टॉयलेट पेपर का यूज नहीं करते हैं। वे टॉयलेट जाने के बाद पानी का ही इस्तेमाल करते हैं। इसलिए उन्हें उन जगहों पर परेशानी का सामना करना पड़ता है, जहां टॉयलेट में पानी का इंतजाम नहीं होता। ब्रिटेन में अब लोगों की औसत उम्र 80 साल है। 1850 में ब्रिटेन के लोगों की औसत उम्र 40 वर्ष हुआ करती थी। इसी समय हाथ धोने के फायदे के बारे में सबसे पहले प्रचार शुरू हुआ था। ये यूरोप की मॉडल और सोशलाइट जैकी हांग हैं। इनका कहना है कि वे भी टॉयलेट जाने के बाद सोप से हाथ नहीं धोतीं और ना ही रोज नहाना जरूरी समझती हैं। ये फ्रांस के सेलिब्रिटी और सोशल वर्कर किट वॉलेन रसेल हैं। इनका कहना है कि वे भी टॉयलेट जाने के बाद हाथ नहीं धोते।
अमेरिका में रहने वाले ब्लैक लोगों में भी साफ-सफाई की आदत नहीं पाई जाती। अब कोरोना वायरस महामारी के चलते ये अपनी आदत में सुधार लाने को मजबूर हो गए हैं। अमेरिका में अफ्रीकी मूल के लोग ज्यादातर स्लम बस्तियों में रहते हैं। यहां साफ-सफाई की सुविधा की कमी होती है। कोरोना महामारी फैलने के बाद इन स्लम बस्तियों में साफ-सफाई के लिए सार्वजनिक तौर पर हैंड सैनेटाइजर की सुविधा मुहैया कराई गई है। अरब कंट्रीज में लोग साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान देते हैं। यह उनकी परंपरा और धार्मिक रीति-रिवाजों से जुड़ा हुआ है।