राजनांदगांव शहर के महेश नगर में संचालित साईं कृपा हॉस्पिटल में गर्भवती महिला के इलाज में लापरवाही बरतने का मामला सामने आया है। डॉक्टरों ने इस कदर लापरवाही बरती है कि यहां प्रसव कराने वाली महिला अब कभी मां नहीं बन सकती। चिचोला थाना क्षेत्र के ग्राम रानीतालाब निवासी पीडि़त नरोत्तम यादव ने मामले की शिकायत 18 मार्च को पुलिस अधीक्षक से करते हुए जांच के बाद कार्रवाई की मांग की है। नरोत्तम यादव ने बताया कि इलाज के दौरान लापरवाही बरतने के साथ उनके परिवार वालों से दुव्र्यहार भी किया गया। पीडि़त ने बताया है कि 23 अगस्त 2019 को उसकी पत्नी एनेश्वरी यादव (25) को 9 माह का गर्भ पूर्ण होने के बाद प्रसव के लिए साईं कृपा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।
वहां डॉक्टरों ने महिला का ऑपरेशन किया। महिला ने ऑपरेशन से स्वस्थ्य बच्ची को जन्म दिया। सब ठीक था, लेकिन अचानक ही एनेश्वरी की तबीयत बिगडऩे लगी। ऑपरेशन के बाद भी ब्लड का बहाव नहीं रूक रहा था। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन में हड़कंप मच गया। मरीज की हालत और स्थिति को भांपकर परिजनों को आधी-अधूरी जानकारी देकर स्थिति ज्यादा खराब होना बताकर तमाम दस्तावेजों में एनेश्वरी के पति नरोत्तम यादव का हस्ताक्षर करा लिया गया। इसके बाद उस महिला को रायपुर रेफर कर दिया गया। प्रबंधन ने अपने ही एंबुलेंस में भिजवाया और इलाज और पीडि़ता को रायपुर पहुंचाने का कोई चार्ज नहीं लिया गया। महिला को रातोंरात रायपुर के वीवाय केयर अस्पताल में भर्ती करा दिया गया।
इस बीच महिला कुछ दिनों तक कोमा में रही। वहां जब डॉक्टरों ने महिला का इलाज शुरू किया तो बताया कि महिला की बच्चादानी फट गई है। वहां ऑपरेशन कर एनेश्वरी के बच्चेदानी को निकाला गया। फिर महिला के पेट में ब्लड का क्लाटिंग जम गया। इसे हटाने के लिए फिर से ऑपरेशन किया गया। बताया जा रहा है कि 2014 में भी इसी तरह का एक केस इसी अस्पताल में हो चुका है। वह महिला भी अब मां नहीं बन पा रही। तभी तो अस्पताल प्रबंधन ने इलाज के पैसे भी नहीं लिए। उन्होंने बताया कि मामले की शिकायत कलेक्टर, मानव अधिकार आयोग, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन, स्वास्थ्य मंत्री छत्तीसगढ़ शासन, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री भारत सरकार सहित मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भी लिखित शिकायत कर दोनों अस्पतालों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।