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जलवायु परिवर्तन का असर, बंगलादेश में 1.9 करोड़ बच्चों का भविष्य खतरे में

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 25 2021 2:36PM | Updated Date: Aug 25 2021 2:37PM
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ढाका। बंगलादेश में जलवायु परिवर्तन के व्यापक और प्रतिकूल असर से देश के करीब 1.9 करोड़ से अधिक बच्चों का भविष्य खतरे में है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष(यूनीसेफ) की एक रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक बंगलादेश जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को लेकर सर्वाधिक संवेदनशील देशों में से एक है और यहां के लोग बाढ़, चक्रवात, सूखा, लवणता और नदी के कटाव से पीड़ति हैं। वहीं अन्य लोगों की तुलना में गरीब वर्ग के इससे सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे-जैसे ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमालय के ग्लेशियर पिघलते हैं और समुद्र का स्तर बढ़ता जाता है वैसे-वैसे बंगलादेश में नदी तटीय क्षेत्रों में  विनाशकारी आपदाओं का खतरा बढ़ जाता है।
रिपोर्ट के अनुसार मध्य अफ्रीकी गणराज्य, चाड और नाइजीरिया में बच्चों को जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक खतरा है वहीं इस मामले में बंगलादेश 15वां सबसे अधिक जोखिम वाला देश है। यहां की एक तिहाई आबादी समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण विस्थापन के जोखिम में है। बंगलादेश के तटीय इलाकों में चक्रवात और बाढ़ आना आम बात है। लगभग 25 फीसदी आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है और वे प्राकृतिक आपदाओं से बुरी तरह प्रभावित हैं।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि जब प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित परिवारों के घर छिन जाते हैं, तो उन परिवारों के बच्चों को अक्सर पैसा कमाने के लिए काम पर जाने के लिए मजबूर किया जाता है। नतीजतन, बच्चे विभिन्न प्रकार के दुर्व्यवहारों के शिकार होने की अधिक संभावना रखते हैं। आपदाओं के दौरान लापता बच्चों, यौन शोषण, बाल श्रम, तस्करी और असुरक्षित प्रवास के शिकार होने का खतरा होता है।
सेव द चिल्ड्रन इंटरनेशनल के उप निदेशक (डीआरआर और सीसीए) डॉ नजमुन नाहर नूर ने कहा कि जलवायु संकट के कारण बंगलादेश में बाल कुपोषण, ड्रॉपआउट, बाल विवाह, बाल श्रम और प्रवास के मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण उपजे वित्तीय संकट से गरीब परिवार की लड़कियां सबसे ज्यादा पीड़ति होती है और उनके साथ दुर्व्यवहार आम बात है जबकि बहुत सी लड़कियों को देह-व्यापार में धकेल दिया जाता है। वहीं लड़के गांव छोड़कर शहरों में चले जाते हैं जहां वे विभिन्न तरह के अवांछनीय गतिविधियों में संलिप्त हो जाते हैं। 
 
डॉ नूर ने कहा , ‘‘ जलवायु परिवर्तन को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन हम इसे नियंत्रित कर सकते हैं। हरित स्थान बढ़ाने से लेकर कचरा प्रबंधन और प्रदूषण की रोकथाम तक पूरी दुनिया को इसके लिए काम करना चाहिए। अगर देश की नदियों की रक्षा की जाती है, तो हम अपनी अनूठी स्थिति को नियंत्रित करने में सक्षम होंगे।’’ वर्ल्ड विजन बंगलादेश के निदेशक टोनी माइकल गोम्स ने टिप्पणी की कि बच्चे किसी भी तरह की आपदा से सबसे पहले प्रभावित होते हैं। बंगलादेश में सभी प्रकार के जलवायु परिवर्तन संकट आपदा के बाद की स्थितियों पर आधारित हैं।उन्होंने कहा , ‘‘ अगर हम आपदा नियंत्रण के लिए कार्रवाई करते हैं तो हमारा नुकसान कम होता है। सरकार को यहां और जोर देने की जरूरत है।’’ उन्होंने बाढ़ और आपदा संभावित क्षेत्रों में मदद के लिए पर्यावरण के अनुकूल गांवों को विकसित करने का सुझाव दिया।
 
पर्यावरण विभाग में निदेशक (जलवायु परिवर्तन और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन) मिर्जा शवत अली ने बताया कि पर्यावरण विभाग जलवायु परिवर्तन के लिए एक राष्ट्रीय अनुकूलन योजना पर काम कर रहा है तथा इसका उद्देश्य तटीय क्षेत्रों में उच्च लवणता, कृषि, पोषण, शहरी अनुकूलन, स्वास्थ्य के साथ-साथ बच्चों, बुजुर्गों और लिंग मुद्दों के साथ जल संसाधन प्रबंधन को संबोधित करना है।
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