नई दिल्ली। लद्दाख में चीन सेना के साथ लगातार बातचीत कर मामले को सुलझाने की कोशिश जारी है। भारत कुछ हद तक कामयाब भी हुआ है लेकिन चीनी सेना का कई जगहों के लिए जिद्दी रवैया जारी है। भारत चाहता है कि अप्रैल महीने की आखिरी वाली स्थिति एलएसी पर बन जाए। इसके तहत एलएसी पर जो स्थिति अप्रैल महीने के आखिरी में थी, वही होनी चाहिए। ऐसे में चीन को फिंगर 8 से पीछे जाना चाहिए। लेकिन चीन इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं है। वो अपने कुछ सैनिक और कैंप फिंगर 8 से 5 के बीच रखना चाहता है।
बता दें कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर 8-किलोमीटर के क्षेत्र में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) अपना कब्जा जताने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। चीन ने इसे अपनी भूमि बताने के लिए यहां बड़ा साइनेज भी बनाया था। फिंगर-4 और फिंग -5 के बीच स्थित यह साइनेज 80 मीटर लंबा और 25 मीटर चौड़ा था जिसमें मेंडेरियन सिंबल और चीन का मैप था।
इसे इस तरह डिजाइन किया गया था कि सैटेलाइट के जरिए ये आसानी से दिख सकें। हालांकि दोनों देशों के बीच हुई वार्ता के बाद चीन इस इलाके से कुछ पीछे हटा था लेकिन पूरी तरह से वह अब तक पीछे नहीं हटा है। दोनों पक्ष अगले कुछ दिनों में करीब 21-22 जुलाई को वापस हटने की स्थिति की निगरानी और सत्यापन करेंगे। इसके बाद स्थिति साफ हो पाएगी।
पैंगोंग लेक का पश्चिमी हिस्सा भारत में और पूर्वी छोर चीन में आता है। इस लेक की लंबाई 135 किलोमीटर है। इसमें से 45 किलोमीटर का हिस्सा भारत के पास है जबकि 90 किलोमीटर का हिस्सा चीन के पास। इस लेक के उत्तर में जो पहाड़ है उसे आठ फिंगरों में मार्क किया गया है। फिंगर यानी पहाड़ का बाहर निकला हुआ हिस्सा। इंडियन आर्मी के मैप के अनुसार LAC फिंगर 8 से गुजरती है जबकि चीन कहता है कि LAC फिंगर 2 से गुजरती है। भारत की बॉर्डर पोस्ट फिंगर 3 और फिंगर 4 के बीच है और वह फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग करता है। जबकि चीन की बॉर्डर पोस्ट फिंगर 8 पर है।
5 और 6 मई 2020 को भारत और चीन के सैनिकों की धक्का-मुक्की की खबरें आई थी। इस धक्का-मुक्की की वजह थी चीन की सेना जो भारतीय सैनिकों को फिंगर 4 में पेट्रोलिंग से रोक रही थी। चीन ने आधिकारिक रूप से बयान दिया कि भारत चीन के इलाके में घुसपैठ कर रहा है। लेकिन सच्चाई तो यह है कि फिंगर 4 तो भारत का ही इलाका है। इस विवाद को सुलझाने के लिए बैठकों का दौर चल रहा है। दोनों देशों में कुछ इलाकों से सेना को करीब 2 किलोमीटर तक पीछे हटाने की सहमति भी बनी थी, लेकिन चीनी सेना फिंगर फोर पर डट गई और भारत को पेट्रोलिंग के लिए इससे आगे नहीं जाने दे रही थी।