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21 जून को एक पल के लिए आपकी परछाई हो जाएगी गायब, जानिये ऐसा क्‍यों होगा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 20 2020 5:37PM | Updated Date: Jun 20 2020 5:38PM
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21 जून को कुछ ऐसा होगा कि कुछ पलों के लिए आपका साया आपका साथ छोड़ देगा। यह एक खगोलीय घटना होगी जिसके हजारों लोग साक्षी बनेंगे। यह दिन अपने आप में बहुत खास है। इस दिन सूर्य ग्रहण तो है ही, जो अपने आप में दुर्लभ प्रकार का है। इस दिन इंटरनेशनल योगा डे भी है। लेकिन इसके अलावा एक और कारण से यह दिन विशेष है। 21 जून को कुछ ऐसा होगा कि कुछ पलों के लिए आपका साया आपका साथ छोड़ देगा। यह एक खगोलीय घटना होगी जिसके हजारों लोग साक्षी बनेंगे। इसके बाद से मौसम में भी बदलाव शुरू हो जाएगा। 

साल का सबसे बड़ा दिन : 21 जून, 2020 रविवार साल का सबसे बड़ा दिन होगा। इस दिन दोपहर के समय एक क्षण ऐसा भी आएगा जब आपकी परछाई आपका साथ छोड़ देगी। यदि आप धूप में खड़े होंगे तो कहीं पर भी आपकी परछाई नहीं नज़र आएगी। ऐसा इसलिए होगा क्‍योंकि इस पल सूर्य कर्क रेखा के ठीक ऊपर होगा। इसलिए यह संयोग घटित होगा। इसके बाद दिन छोटे होना शुरू हो जाएंगे और रातें लंबी होना शुरू होंगी। 21 जून को दिन की अवधि करीब 13.45 घंटे की होगी, जबकि रात 10.35 घंटे की रहेगी। इसे समर सोल्‍सटाइस या ग्रीष्‍मकालीन संक्रात भी कहा जाता है।

परछाई गायब होने का यह है कारण : उत्‍तराखंड के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे के मुताबिक समय दलने के पीछे कई कारण हैं। पृथ्‍वी का अपना भ्रमण है जिसके चलते 23.50 डिग्री झुकी होती है। इस कारण दिन एवं रात होते हैं। अभी सूर्य उत्तरी गोलाद्र्ध से होकर गुजर रहा है और पृथ्‍वी के इस भाग में दिन लंबे हैं। इसके विपरीत दक्षिणी गोलाद्र्ध में दिन छोटे और रातें लंबी हैं। इसके अलावा यहां गर्मी का मौसम है तो दक्षिण गोलाद्र्ध में सर्दी है। यहां गर्मी होने के चलते सूर्य की किरणें सीधी पड़ रही है। ये किरणें दक्षिण में तिरछी पडऩे के कारण अभी वहां सर्दी का मौसम है। यह चक्र पूरे साल चलता है।

21 मार्च, 21 जून, 21 सितंबर और 21 दिसंबर में यह समानता : इस तरह का परिवर्तन एवं संयोग साल में चार बार आता है। 21 अथवा 22 मार्च को दिन व रात बराबर होते हैं। 21 जून को दिन बड़े व रातें छोटी होना शुरू होंगी। इसके बाद 21 या 22 सितंबर को दिन व रात का समय बराबर हो जाएगा। लेकिन 21 दिसंबर के बाद से जब विंटर सोल्‍सटाइस यानी शीतकालीन संक्रात शुरू होगी तो साल का सबसे छोटा दिन सामने आएगा एवं रातें लंबी होना शुरू होंगी।

हमारे जीवन पर यह असर : इस मौसम चक्र का हमारे जीवन पर सीधे तौर पर असर पड़ता है। यदि यह ऋतु परिवर्तन नहीं होता तो धरती का वातावरण एक जैसा रहता और यहां एक ही मौसम की मार सदा रहती। पृथ्‍वी का जो भाग सूर्य के सामने होता, वह हमेशा गर्म रहता और पीछे का भाग सर्दी में ही डूबा रहता। मौसम का परिवर्तन होने से जीवन शैली व खान पान में भी बदलाव आता है जो कई लोगों के लिए अनुकूल होता है। इससे हमारी सेहत भी जुड़ी है।

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