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अंतरिक्ष में पदार्थ की पांचवीं अवस्था के मिले सबूत

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 12 2020 11:13PM | Updated Date: Jun 12 2020 11:13PM
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पेरिस। भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस और अल्बर्ट आइंस्टीन की भविष्यवाणी 100 साल बाद सच हो गई है। वैज्ञानिकों को पहली बार अंतरिक्ष में पदार्थ की पांचवी अवस्था के सबूत मिले हैं। उनका मानना है कि इसके जरिए ब्रह्मांड की गुत्थियों को सुलझाया जा सकता है और इसकी उत्पत्ति का भी पता लगाया जा सकता है। वैज्ञानिक बोस और आइंस्टीन ने पदार्थ की इस अवस्था के बारे में 1920 में बताया था। इसलिए इसे बोस-आइंस्टाइन कंडेनसेट्स (बीईसी) भी कहते हैं। यह प्रयोग अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) में किया गया है। 
 
कब बनती है पदार्थ की पांचवीं अवस्था?
पदार्थ की यह अवस्था तब बनती है, जब किसी तत्व के परमाणुओं को परम शून्य ( जीरो डिग्री केल्विन या माइनस 273.15 डिग्री सेल्सियस) तक ठंडा किया जाता है। इसके चलते उस तत्व के सारे परमाणु मिलकर एक हो जाते हैं यानी सुपर एटम बनता है। इसे ही पदार्थ की पांचवीं अवस्था कहते हैं। किसी भी पदार्थ में उसके परमाणु अलग-अलग गति करते हैं, लेकिन पदार्थ की पांचवी अवस्था में एक ही बड़ा परमाणु होता है और इसमें तरंगे उठती हैं।
 
बीईसी का धरती पर अध्ययन असंभव
वैज्ञानिकों ने बताया कि बीईसी बेहद संवेदनशील है। अगर उसकी अवस्था से थोड़ी भी छेड़छाड़ की जाती है तो वे गर्म हो सकते हैं, क्योंकि वे हमेशा परम शून्य तापमान पर होते हैं। थोड़ा सा भी गर्म होने पर पदार्थ की पांचवीं अवस्था खत्म हो जाएगी। इस वजह से पृथ्वी पर इनका अध्ययन लगभग असंभव है। वैज्ञानिकों का मानना है कि बीईसी में अंतरिक्ष की रहस्यमयी डार्क एनर्जी के बारे में जानकारी छुपी हुई है। वैज्ञानिक ब्रह्मांड के फैलाव के पीछे इस डार्क एनर्जी को ही मानते हैं। इस रिसर्च को नेचर जर्नल में प्रकाशित किया गया है।  
 
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर प्रयोग
वैज्ञानिकों ने बताया कि आईएसएस में पदार्थ का पांचवीं अवस्था बनाना कोई आसान काम नहीं था। पहले बोसोन (ऐसे परमाणु, जिनमें प्रोटान और इलेक्ट्रान बराबर हो) को लेजर तकनीक से परम शून्य तापमान तक ठंडा किया जाता है। जैसे-जैसे परमाणुओं की गति धीमी होती है, वे ठंडे होने लगते हैं।

 

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