बीजिंग। चीन के वुहान शहर से निकलकर कोविड-19 की महामारी ने सात महीनों के भीतर ही लाखों लोगों की जान ले ली है। चाइना से निकला कोरोना वायरस दुनियाभर में फैल चुका है। हालांकि चाइना में अब कोरोना वायरस के मुद्दे नियंत्रित होते दिखने लगे हैं। चाइना का वुहान शहर कोरोना का मुख्य केन्द्र रहा। अब यहीं से ही इस महामारी के उपचार की दवा बनाने का दवा किया है। संसार को कोरोना का जख्म दिया, अब उसी ने दवा देकर जख्म भरेगा।
चीनी वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना वायरस के लिए 99 प्रतिशत अच्छा वैक्सीन बना ली गई है। इस वैक्सीन के करीब 10 करोड़ डोज बनाने की तैयारी चल रही है। बीजिंग की बायोटेक कंपनी ‘सिनोवैक’ ने यह वैक्सीन तैयार की है। चाइना में करीब एक हजार से ज्यादा वॉलंटियर पर इसका ट्रायल चल रहा है। हालांकि अब इस वैक्सीन का स्टेज 3 ट्रायल ब्रिटेन में करने की तैयारी की जा रही है।
एक अंग्रेजी में छपी समाचार के मुताबिक वैक्सीन बनाने वाले शोधकर्ताओं ने बताया कि यह वैक्सीन कार्य जरूर कार्य करेगी। आगे बातते हुए रिसर्चर्स लुओ बैशन ने बोला कि यह 99 प्रतिशत तक अच्छा साबित होगी। वैसे कंपनी वैक्सीन का स्टेज 2 का ट्रायल कर रही है, लेकिन चाइना में कोरोना संक्रमण के कम मुद्दे को देखते हुए वॉलंटियर की कमी पड़ गई है।
इसके बाद रिसर्चर्स ने इसका ट्रायल यूरोप में करने का निर्णय किया है। कंपनी ‘सिनोवैक’ ने बोला है कि हम यूरोप के कई राष्ट्रों से ट्रायल के लिए वार्ता कर रहे हैं। इसके साथ ही यूके से भी वार्ता की गई है। हालांकि वार्ता अभी शुरुआती चरण में है। कंपनी बीजिंग में एक प्लांट भी लगा रही है। इस प्लांट में करीब 10 करोड़ डोज तैयार किए जाएंगे।
‘सिनोवैक’ का बोलना है कि इस वैक्सीन का इस्तेमाल सबसे पहले हाई रिस्क वाले मरीजों पर होगा। इस दौरान हेल्थ वर्कर्स व बड़ी आयु वाले लोगों पर इसका प्रयोग किया जाएगा। हालांकि अभी स्टेज 2 के ट्रायल में महीनों लगेंगे। इसके साथ ही वैक्सीन की रेग्यूलेटरी अप्रूवल भी चाहिए होगी।
गौरतलब है किमई की आरंभ में बड़ी ड्रग कंपनी एस्ट्रेजेनेका ने बी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की बनाई वैक्सीन के 100 करोड़ डोज उपलब्ध करवाने की बात कही थी। कंपनी ने बोला था कि यह सितंबर तक उपलब्ध होगी। अगर सारे टेस्ट पास रहते हैं। कंपनी ने बोला था की वैक्सीन यूके की आधी आबादी का उपचार करने में सक्षम होगी। अगर ट्रायल सफल रहता है तो इस गर्मियों तक यह संभव हो पाएगा। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक वैक्सीन को लेकर मरीजों पर ट्रायल कर रहे हैं।