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फर्जी मार्कशीट बनाने वाले शिक्षा पद्धति को नुकसान व सामाजिक ढांचे को कर रहे हैं पंगु :हाईकोर्ट

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 11 2021 5:30PM | Updated Date: Jun 11 2021 5:30PM
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प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फर्जी मार्कशीट के आधार पर 11 वर्ष से प्राइमरी स्कूल में नौकरी कर रहे शिक्षक की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज करते हुए अग्रिम जमानत देने से इन्कार करते हुए कहा कि फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गिरोह सामाजिक ढांचे को पंगु बना रहे हैं और शिक्षा पद्धति के जड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं । शिक्षक पर आरोप है कि वह आगरा विश्वविद्यालय से बीएड की फर्जी मार्कशीट के आधार पर नियुक्त हुआ और वर्ष 2009 से पढ़ा रहा था । फर्जी मार्कशीट को लेकर उसके खिलाफ थाना- अहमदगढ़, बुलंदशहर में  भारतीय दंड  संहिता की धारा 420,467,468,471 के तहत दर्ज कराया गया है।
 
इस मुकदमे में याची ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अग्रिम जमानत की मांग की थी। याची के वकील का कहना था कि इस मार्कशीट को पाने में उसका कोई दोष नहीं है। उसे नहीं मालूम था कि उसकी मार्कशीट फर्जी है जबकि अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता विनोद कान्त का कहना था कि यूपी में बिचौलियों के मार्फत फर्जी मार्कशीट बनाने व देने का रैकेट चल रहा है। याची कई वर्षों तक फर्जी मार्कशीट का लाभ लेता रहा है।
 
वह यह नहीं कह सकता कि उसे फर्जी मार्कशीट का ज्ञान नहीं था। याची अध्यापक सुनील कुमार की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज करते हुए जस्टिस विवेक अग्रवाल ने कहा कि याची अदालत में अपने को सरेन्डर करे और विवेचना में सहयोग करे। न्यायालय ने कहा कि फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गिरोह में बिचौलियों, मास्टरमाइंड व लाभार्थियों की लंबी चेन है। इसकी  जड़ों तक जाने के लिए जांच जरूरी है । ऐसे मामलों में जांच के लिए कस्टडी कभी-कभी जरूरी हो जाती है ।
 
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