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कुशीनगर में बैकं कॉरस्पांडेंट सखी योजना के तहत 1039 महिलाओं का चयन

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 27 2021 3:03PM | Updated Date: Feb 27 2021 3:03PM
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कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में  बैकिंग सुविधाएं अब हर दरवाजे तक  पहुंचेगी। इसके लिए सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत  प्रयास शुरू किया है। इसके लिए बैंक कॉरस्पांडेंट सखी योजना के तहत 1039  महिलाओं का चयन किया गया है। इनको ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण केंद्र में बैंकिंग सेवाओं का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अब तक 120 महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर इसके लिए आयोजित परीक्षा भी पास कर चुकी हैं। सरकार की अधिकांश योजनाओं का लाभ अब सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में दिया जा रहा  है। यहां तक कि मनरेगा की मजदूरी भी बैंक खातों में ही भेजी जा रही है।  इसके अलावा प्रधानमंत्री सम्मान निधि, विभिन्न पेंशन योजना, कृषि अनुदान आदि भी लाभार्थी के खाते में पहुंच रहा है।
 
प्रधानमंत्री आवास व मुख्यमंत्री आवास की रकम भी सीधे बैंक खाते में आती है। खाते में आई रकम निकालने के लिए लोगों को बैंक जाना पड़ता है। बैंक में कर्मचारी कम होने के चलते वहां भीड़ लगती है। इसके अलावा रकम निकालकर बाहर निकले ग्रामीणों के  साथ धोखाधड़ी की भी घटनाएं होती रहती हैं। इसको देखते हुए केंद्र व राज्य  सरकार अब हर गांव में बैकिंग सेवाओं का विस्तार करने का प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बैकिंग कॉरस्पांडेंट सखी (बीसी सखी) योजना चलाई जा रही है। इस  योजना के तहत चयनित महिलाओं को बैकिंग सेवाओं का प्रशिक्षण देकर  गांव-गांव बैंक से संबंधित कार्यों का संचालन किया जाएगा।
 
कुशीनगर जिले में  भी इस योजना के तहत 1039 महिलाओं का चयन किया गया है। इन चयनित महिलाओं को जिला मुख्यालय पर स्थित ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण केंद्र (आरसेटी) में  प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बीसी सखी अपने गांव में किसी भी बैंक खातेदार के  खाते से रुपये निकालने व जमा करने का कार्य करेंगी। इसके लिए उन्हें एक प्राइवेट बैंक फिना बैंक की तरफ से उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे। 24 घंटे चलने  वाली इन सेवा के जरिए ग्रामीण अपने घर बैठे ही रुपयों का लेन-देन कर  सकेंगे। इससे योजनाओं का धन सीधे लाभार्थी के घर तक पहुंचाना आसान हो जाएगा। बैकिंग सेवाओं का प्रशिक्षण ले रही इन महिलाओं को स्वरोजगार शुरू करने से पहले आईआईबीएफ (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैकिंग एंड फाइनेंस) की परीक्षा पास करनी  होगी।
 
एनआरएलएम  के डीसी ए के मल्ल बताते हैं कि अपने जिले में अब तक 120 महिलाएं  प्रशिक्षण लेकर आईआईबीएफ की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर चुकी हैं। इसके अलावा  35 महिलाओं के एक बैच का प्रशिक्षण चल रहा है। परीक्षा पास कर चुकीं 65 महिलाओं का डॉटा पुलिस सत्यापन के लिए भेजा गया है। छह दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को बैकिंग कार्य के  दौरान रखी जाने वाली सावधानियों से अवगत कराया जा रहा है। बीसी  सखी पद पर चयनित महिलाओं को प्रशिक्षण के उपरांत कार्य प्रारंभ करने के  लिए उनके स्वयं सहायता समूह के जरिए 75 हजार रुपये का ब्याज मुक्त ऋण दिया  जाएगा। इसमें से 50 हजार रुपये से पीओएस मशीन समेत अन्य उपकरण खरीदे  जाएंगे। शेष 25 हजार रुपये ओवर ड्राफ्ट के तौर पर मिलेगा, जिससे वे रुपयों  का लेन-देन शुरू कर सकें। इसके अलावा शुरुआत में छह माह के लिए इन्हें चार  हजार रुपये प्रति माह मानदेय दिया जाएगा। परंतु बाद में इन्हें कमीशन एजेंट  के तौर पर कार्य करना होगा।
 
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