नई दिल्ली। बांबे उच्च न्यायालय ने जी इंटरटेमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के सबसे बड़े शेयरधारक इंवेस्को को असाधारण आम बैठक बुलाने और पुनीत गोयनका को कंपनी के सीईओ एवं प्रबंध निदेशक के पद से हटाने के फैसले पर मंगलवार को रोक लगा दी जिससे इंवेस्को झटका लगा है।
न्यायमूर्ति गौतम पटेल ने जी के पक्ष के निर्णय सुनाते हुये कहा ‘‘ मैने इस पर रोक लगा दी है।’’ उन्होंने इसके कारण भी बताये हैं। न्यायमूर्ति पटेल की एकल पीठ ने जी के वकील के विचारों से सहमत हुये और कहा कि गोयनका को कैसे हटाया गया। गोयनका को पद से हटाने से तत्काल पद खारी हो गया और जो अनुपालनों के विरूद्ध है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पूर्व अनुमति के बगैर यह कैसे किया गया यह भी स्पष्ट नहीं है।
जी ने इंवेस्को के असाधारण आम बैठक बुलाने को अवैध बताते हुये इस पर रोक लगाने की अपील की थी। इंवेस्को द्वारा गत 11 सितंबर को जारी नोटिस में एक मामले दिये गये थे जिसमें सबसे पहला गोयनका को निदेशक के पद से हटाना था। इसके बाद मामलों में दो निदेशकों मनीष चोखानी और अशोक कुरियन को पद से हटाने की बात कही गयी थी लेकिन ये दो पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। इसके छह मामलोें में छह नये स्वतंत्र निदेशक नियुक्त किये जाने का उल्लेख है।
जी के निदेशक मंडल ने इस मांग को पूरा करने से इंकार कर दिया था जब इंवेस्को ने एनसीएलटी का रूख करते हुये उससे कंपनी को असाधारण आम बैठक बुलाने के निर्देश देने की अपील की थी। जी ने इसको बांबे उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने इस नोटिस को अवैध घोषित करने के साथ रोक भी लगा दिया। जी के प्रवक्ता ने कहा कि उच्च न्यायालय का निर्णय कंपनी के सभी शेयरधारकों के लिए बहुत बड़ी जीत है।