मुंबई। Share Market में निवेश के लिए नए-नए तरीके लोगों के सामने आ रहे हैं। स्मॉलकेस (Smallcase) एक ऐसा ही प्रोडक्ट है जो कि शेयर बाजार में निवेश के बेहतरीन तरीके के रूप में चर्चित हो रहा है। बता दें कि जुलाई 2015 में IIT खड़गपुर के तीन छात्रों ने नए जमाने के शेयर निवेशकों को ध्यान में रखकर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए स्मॉलकेस की स्थापना की थी। स्मॉलकेस ने मौजूदा समय में देश के तकरीबन सभी बड़े ब्रोकरेज हाउसेज के साथ समझौता किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले 3 साल में स्मॉलकेस का ट्रांजैक्शन वॉल्यूम 300 गुना बढ़ चुका है। इस रिपोर्ट में स्मॉलकेस क्या है और यह काम कैसे करता है इसको समझने की कोशिश करेंगे।
यह दरअसल, स्मॉलकेस शेयर मार्केट में निवेश करने का नया तरीका है। निवेशक स्मॉलकेस (Smallcase) में एक शेयर नहीं बल्कि थीम और स्ट्रैटजी के आधार पर शेयर या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) के एक बास्केट की खरीदारी करते हैं। इन थीम में आईटी, ग्रामीण विकास, डिजिटल, ऑटो, एनर्जी, यूटिलिटी आदि से जुड़ी कंपनियां हो सकती हैं। स्मॉलकेस वैल्यू और ग्रोथ की रणनीति के आधार पर भी तैयार किए जाते हैं। आसान शब्दों में कहें तो स्मॉलकेस कुछ शेयरों का ग्रुप होता है जो कि म्यूचुअल फंड की तरह काम करता है। हालांकि यह म्यूचुअल फंड से पूरी तरह से अलग होता है।
स्मॉलकेस को सेबी से रजिस्टर्ड एक्सपर्ट के द्वारा बनाया और मैनेज किया जाता है। निवेशकों को स्मॉलकेस के जरिए निवेश का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि वे इसके जरिए डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो खरीद सकते हैं। निवेशकों के पास स्मॉलकेस के जरिए निवेश की यात्रा शुरू करने के लिए डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट का होना जरूरी है। अगर कोई निवेशक म्यूचुअल फंड में निवेश करता है तो वहां पर फंड मैनेजर ही उससे जुड़े सभी फैसले लेता है। निवेशक के पास फंड के द्वारा निवेश से जुड़े फैसले लेने का अधिकार नहीं होता है। वहीं दूसरी स्मॉलकेस के मामले में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। निवेशक स्मॉलकेस में से किसी शेयर को हटा और जोड़ सकता है।