लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हुए पंचायत चुनावों में स्वयं सहायता समूह की 1534 महिलाएं निर्वाचित हुई हैं। प्रदेश में ऐसा पहली बार है कि इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं ने पंचायत चुनावों में अपने भाग्य को आजमाया है और जीत दर्ज की है। अधिकृत सूत्रों ने रविवार को बताया कि पंचायत चुनावों में स्वयं सहायता समूह की 3521 महिलाओं ने विभिन्न पदों के लिए किस्मत आजमायी थी,जिसमें से 1534 ने चुनाव जीतकर अपना परचम लहराया है।
आजीविका मिशन के मिशन निदेशक सुजीत कुमार बताते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सरकारी राशन की दुकान का संचालन, बिजली बिल कनेक्शन की जिम्मेदारी और स्कूल ड्रेस के निर्माण आदि कई अन्य कार्यक्रमों से जोड़ा है। विभाग की ओर से महिलाओं को कई प्रकार की ट्रेनिंग भी दी गई है। पिछले तीन-चार वर्षों में महिलाओं के लिए जो कार्यक्रम शुरू किए गए हैं, यह उसी का परिणाम है कि महिलाओं का आत्म विश्वास बढ़ा है।
अब महिलाएं न सिर्फ चुनाव लड़ रही हैं, बल्कि बड़ी संख्या में जीत भी दर्ज की है। जिला पंचायत सदस्य पद के लिए 11 जिलों में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने जीत दर्ज की है। इसमें अंबेडकरनगर में दो, अमेठी में एक, अयोध्या में एक, बागपत में एक, बहराइच में नौ, बाराबंकी में दो, बस्ती में एक, कानपुर नगर में एक, प्रयागराज में एक, उन्नाव में दो और वाराणसी में एक महिला ने जीत दर्ज की है। ग्राम प्रधान पद के लिए 1791 महिलाओं में से 662 ने विजय हासिल की जबकि 474 महिलाएं दूसरे स्थान पर रहीं।
ऐसे ही ग्राम पंचायत सदस्य पद के लिए 522 महिलाओं में से 415 ने जीत दर्ज की है और 42 दूसरे स्थान पर रहीं। क्षेत्र पंचायत सदस्य पद के लिए 1140 महिलाओं में से 476 निर्वाचित हुई हैं और 293 दूसरे स्थान पर रहीं। ऐसे ही जिला पंचायत सदस्य पद के लिए 68 महिलाओं में से 22 महिलाएं विजयी हुई हैं और छह दूसरे नंबर पर रहीं।
आगरा में दो, अंबेडकरनगर में 22, अमेठी में 17, अमरोहा में दो, और्रैया में पांच, अयोध्या में 17, आजमगढ़ में सात, बागपत में 11, बहराइच में 19, बलिया में तीन, बलरामपुर में छह, बांदा में तीन, बाराबंकी में 21, बरेली में 13, बस्ती में 21, बिजनौर में 12, बदायूं में चार, बुलंदशहर में आठ, चंदौली में छह, चित्रकूट में पांच, देवरिया में 31, एटा में पांच, इटावा में चार, फर्रुखाबाद में पांच, फतेहपुर में 37, फिरोजाबाद में नौ, गाजियाबाद में एक, गाजीपुर में तीन, गोंडा में चार, गोरखपुर में 13, हमीरपुर में पांच, हापुड़ में एक, हरदोई में सात, हाथरस में दो, जालौन में आठ, जौनपुर में 29, झांसी में 11, कन्नौज में 23, कानपुर देहात में तीन, कानपुर नगर में पांच, कासगंज में एक, कौशांबी में तीन, खीरी में 11, कुशीनगर में पांच, ललितपुर में चार, लखनऊ में नौ, महराजगंज में चार, मैनपुरी में चार, मथुरा में एक, मऊ में तीन, मेरठ में दो, मिर्जापुर में 10, मुरादाबाद में पांच, मुजफ्फरनगर में पांच, पीलीभीत में पांच, प्रतापगढ़ में 19, प्रयागराज में 32, रायबरेली में 20, रामपुर में दो, सहारनपुर में पांच, संभल में 12, संतकबीरनगर में दो, संतरविदासनगर में चार, शाहजहांपुर में छह, शामली में 11, श्रावस्ती में एक, सिद्धार्थनगर में छह, सीतापुर में 10, सोनभद्र में नौ, सुल्तानपुर में छह, उन्नाव में 21 और वाराणसी में 14 स्वयं सहायता समूह की महिलाएं ग्राम प्रधान चुनी गई हैं।