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अकालियों ने उड़ाया पवित्र सदन का मजाक : अमरिंदर

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 6 2021 12:08AM | Updated Date: Mar 6 2021 12:08AM
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चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा में अकाली सदस्यों के हंगामे और गैर-जिम्मेदाराना रवैये पर नाराजगी जताते हुये कहा कि किसानों के हितैषी कहलाने वाले अकाली दल ने कृषि कानूनों के मुद्दे पर पवित्र सदन का मजाक बनाकर रख दिया। कैप्टन सिंह आज सदन में राज्यपाल अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई बहस का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि अकाली सांसद एवं पार्टी प्रधान सुखबीर बादल तथा केन्द्र में मंत्री रहीं हरसिमरत कौर बादल दोनों ने ही कृषि कानूनों को लेकर पंजाब के साथ धोखा किया। 

दोनों अकाली नेताओं का नाम मुख्यमंत्री द्वारा लिये जाने पर अकालियों ने शोर शराबा और नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामे के दौरान सदन के नेता को अपना भाषण बीच में रोकना पड़ा। अकाली आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। सभा अध्यक्ष राणा केपी सिंह के बार -बार आग्रह के बावजूद जब वे अपनी सीटों पर नहीं लौटे और हंगामा जारी रखा। सभा अध्यक्ष को पंद्रह मिनट के लिये कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। उन्हें नेम करने की चेतावनी भी दी। उसके बाद सभा अध्यक्ष ने कार्यवाही में विघ्न डालने के लिये अकाली दल के सभी विधायकों को बजट सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया। 

सदन की कार्यवाही 15 मिनटों के लिए स्थगित करते हुए स्पीकर ने मार्शलों को अकाली विधायकों के इस सलूक के लिए उनको सदन से हटाने के लिए कहा। सदन की कार्यवाही शुरू होने पर मुख्यमंत्री ने राज्यपाल अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब देते हुये कहा कि अकालियों को कृषि कानून के मुद्दे पर अपने राजनीतिक अस्तित्व को संकट पैदा होते देख केन्द्र से इस्तीफा देकर भाजपा से अलग होने को मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि अकालियों के यूटर्न लेने से पहले केंद्रीय कानूनों के ख़िलाफ उनकी सरकार की तरफ से विधानसभा में लाए गए प्रस्ताव का समर्थन किया और इसे राज्यपाल को सौंपने के लिए उनके साथ राज भवन तक भी गए थे। 

कैप्टन सिंह ने कहा कि केंद्रीय मत्री हरदीप पूरी और सोम प्रकाश भी स्पष्ट कर चुके हैं कि खेती ऑर्डीनैंस पास करते समय हरसिमरत बादल भी कैबिनेट बैठक का हिस्सा थीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये यहाँ कुछ और कहते हैं और वहां कुछ और कहते हैं। इन्होंने तो दोहरे मापदंड अपनाकर पंजाब विधानसभा के पवित्र सदन का मजाक बनाकर रख दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना की रोकथाम के लिए राज्य में कोरोना सम्बन्धी सुरक्षा उपाय और नियम लागू रहेंगे। कोरोनाकाल में हमने इसे रोकने के लिए शानदार काम किया जिसके लिए लोगों के सहयोग के साथ-साथ स्वास्थ्य, फ्रंट लाईन वर्करों, जिला और पुलिस प्रशासन, गैर-सरकारी संगठन, स्थानीय नुमायंदे धन्यवाद के पात्र हैं। 

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों और बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीयों की धरती होने के कारण पंजाब उच्च जोखिम वाले राज्यों में शामिल था लेकिन देश की 2.5 प्रतिशत आबादी पंजाब में होने के अनुपात के अनुसार पंजाब में कोरोना केस देश के कुल 1.1 करोड़ मामलों का 1.6 प्रतिशत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 5887 लोगों की कोरोना से मौत हुई लेकिन वर्तमान में राज्य में चाहे पॉजिटिवटी रेट 2.3 फीसदी है लेकिन लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी क्योंकि खतरा टला नहीं है। देश में कोरोना की दूसरी लहर आ रही है और हमें इसके मुकाबले के लिए तैयार रहना चाहिए। 

प्लाज्मा बैंक स्थापित करने और प्लाज्मा का प्रयोग करने में पंजाब के अग्रणी रहने का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड सम्बन्धी आंकड़ों में पूरी पारदर्शिता बरती गई और राज्य के तजुर्बों के आधार पर इनको और सटीक करने का काम किया जा रहा है। कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए हैल्थ रिस्पाँस टीमों द्वारा बेहतरीन प्रयास किये गए। उन्होंने कहा कि कोविड से प्रभावित लोगों के इलाज, उनके संपर्कों की तलाश करके टैस्ट करने और मार्च 2020 में महामारी की शुरुआत से लेकर अब रोजमर्रा के 30 हजार टैस्ट करने की क्षमता बढ़ाई है। 

मिशन फतेह के अंतर्गत लोगों को महामारी से बचाव सम्बन्धी जागरूकता फैलाने में बड़ी मदद मिली। महामारी के दौरान उचित मंडीकरण के द्वारा फसलों की ढुलाई में किसानों की भूमिका की सराहना करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि महामारी के दौरान दोनों फसलों की एवज में किसानों को 62000 करोड़ रुपए की अदायगी हुई, जिस दौरान मंडियों में फसल बेचने आए 10 लाख किसानों के लिए कोरोना से बचाव संबंधी पुख्ता प्रबंध किये गए। कोरोना के दौरान प्रवासी मजदूरों की समस्याओं का जिक्र करते हुये कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा 5 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों को 375 विशेष रेल गाड़ीयों के द्वारा घर भेजा गया जिस पर 35 करोड़ रुपए खर्च किये गए। 

इसके अलावा 21000 वर्करों को भी 725 विशेष बसों के द्वारा वापिस भेजा गया। देश के दूसरे हिस्सों में फंसे पंजाब के 4000 से ज्यादा श्रद्धालुओं को नांदेड़ साहिब और 2000 से ज्यादा विद्यार्थियों को कोटा से वापस लाया गया। उन्होंने सामाजिक और आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों की सहायता के लिए उठाये कदमों संबंधी बताते हुये कहा कि जरूरतमंदों को भोजन, दवाएं उपलब्ध करवाने के इलावा पंचायतों और निगमों के द्वारा आगामी पैंशन, मनरेगा वर्करों को अदायगी, निर्माण कामगारों को वित्तीय सहायता, कर्मचारियों को एक्स ग्रेशिया अनुदान के इलावा सुचारू तरीके से गेहूँ और धान की खरीद की गई। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से कोरोना के कारण वित्तीय तौर पर आहत लोगों को राहत देने के लिए टैक्सों और बिलों की वसूली लेट करने के इलावा अनेकों तरह के जुर्माने माफ किये गए। पंजाब स्टेट पावर कोरर्पोशन लिमिटेड की तरफ से 500 करोड़ रुपए की राहत उपभोक्ताओं को दी गई, जिसके अंतर्गत बिजली बिलों की देरी से अदा करने की सुविधा, वर्तमान बिलों पर एक प्रतिशत रिबेट, एक्टेंशन चार्जों को मुलतवी करना और मीटर की सिक्यूरिटी में कोई तबदीली न करना शामिल है।

रीयल एस्टेट को दी राहतों को लेकर उन्होंने कहा कि कठिन हालातों के मुकाबले के लिए प्रशासकीय सुधार किये गए और वित्तीय स्रोतों को कार्यशील करके राज्य की अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाया गया है। उन्होंने किसानों को मुफ्त बिजली सुविधा जारी रहने की अपनी सरकार की वचनबद्धता दोहराते हुये कहा कि इसे किसी हालत में वापस नहीं लिया जायेगा तथा उद्योगों को रियायत जारी रहेगी। उन्होंने नये कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताते हुये केन्द्र से इन्हें वापस लेने की मांग की क्योंकि इससे किसान बर्बाद हो जायेगा। कृषि पर कानून बनाने राज्य का हक है। अंत में कांग्रेस सदस्य राजकुमार वेरका द्वारा लाया गया धन्यवाद प्रस्ताव पारित कर दिया गया। 

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