इटावा। उत्तर प्रदेश में समाजवादियों के गढ़ इटावा की बहू गीता शाक्य को राज्यसभा भेजने के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के फैसले के निहितार्थ निकाले जाने लगे है। राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव में भाजपा की प्रत्याशी गीता शाक्य औरैया की जिलाध्यक्ष रही हैं। बिधूना के हमीरपुर गांव में मायका और भरथना के रमपुरा सिंहुआ गांव उनकी ससुराल है। वह 2005 से 2010 तक प्रधान रहीं हैं और उनके पति मुकुट सिंह भी प्रधान रह चुके हैं। गीता वर्ष 2009 में उपचुनाव में सपा की टिकट पर बिधूना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ चुकी हैं। बिधूना में शाक्य वोटों को प्रभावित करने के लिए सपा ने उन्हें टिकट दिया था।
हालांकि वह सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गई थीं और दो साल तक जिलाध्यक्ष पद पर रह चुकी हैं। वर्ष 2012 में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ीं और दूसरे पायदान पर रही थीं । उन्हें उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद का करीबी माना जाता है। सपा में रहते हुए उन्हें शिवपाल का करीबी माना जाता था। गीता के राज्यसभा उम्मीदवार घोषित किये जाने के बाद उनके बाद सिंहुआ मे जोरदारी खुशी देखी जा रही है । हर कोई अपनी ओर से खुशी जता रहा है।
गीता के पति मुकुट सिंह शाक्य भाजपा की ओर से मिले राज्यसभा टिकट के तोहफे से गदगद नजर आ रहे है । वो कहते है कि भाजपा की उनके जैसे अदने से कार्यकर्ता की भी अहमियत समझ कर उनको राज्यसभा के रास्ते भेजा है। यह उनके लिए किसी करिश्मे से कम नहीं है। अन्य पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखने वाली गीता शाक्य के राज्यसभा में भेजे जाने के भाजपा आलाकमान के निर्णय से ना केवल पार्टी बल्कि दूसरे दलों के लोग भी हैरत में आ गए हैं।
किसी को भी उनके राज्यसभा भेजे जाने की उम्मीद नही थी। ऐसा कहा जा रहा है कि अन्य पिछड़ी जाति की प्रमुख समझी जाने वाली शाक्य, कुशवाहा मौर्य,सैनी समाज से ताल्लुक रखने वाली गीता शाक्य को राज्य सभा भेजने का भाजपा के निर्णय का फायदा समाजवादियों के गढ़ कहे जाने वाले यादव लैंड में 2022 के विधानसभा चुनाव में मिल सकता है।