प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के राजकीय सहायता प्राप्त डिग्री कालेजों में सहायक प्रोफेसर के लगभग खाली चार हजार पदों को भरने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि योग्यता हासिल होने के आधार पर किसी को खाली पदों पर चयनित या नियुक्ति पाने का विधिक अधिकार नही मिल जाता है। यह नियोजक पर है कि वह खाली पदों को भरे अथवा नहीं। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने सौरभ कुमार सिंह व आठ अन्य की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि उत्तर प्रदेश के डिग्री कालेजों में पिछले पांच साल से सहायक प्रोफेसर की भर्ती नही निकाली गई है। चार हजार पद खाली पडे हैं। याचीगण पीएचडी व राष्ट्रीय दक्षता परीक्षा पास है।
सहायक प्रोफेसर पद पर चयनित होने की अर्हता रखते हैं। आयोग को हर साल भर्ती निकालने और खाली पदों को भरने का निर्देश दिया जाय। कोर्ट ने कहा कि याचियो को ऐसी मांग करने का विधिक अधिकार नही है। सरकार को प्रशासनिक, आर्थिक या नीतियों के चलते पदों को भरने या न भरने का अधिकार है। सरकार चाहे तो पद समाप्त या पद संख्या घटा सकती है या खाली पदों को भर सकती है। इसे तब तक चुनौती नही दी जा सकती है जब तक कि सरकार का फैसला दुर्भावनापूर्ण नहीं हो।