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जनकल्याण के कार्यों पर बजट की कमी नहीं होने देंगे - मुख्यमंत्री शिवराज

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 15 2020 7:59PM | Updated Date: Aug 15 2020 8:02PM
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भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि कोरोना संकट के चलते राज्य की राजस्व आय में भले ही कमी हुयी है, लेकिन जनकल्याण के कार्यों पर व्यय में बजट की कमी नहीं होने दी जाएगी।  चौहान ने यहां 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यहां ऐतिहासिक लाल परेड मैदान परिसर के मोतीलाल नेहरु स्टेडियम में राज्य स्तरीय आयोजन को संबोधित किया। चौहान ने कहा कि कोरोना संकट के चलते सरकार की राजस्व आय में बहुत कमी आयी है।
 
कोविड संबंधी व्यवस्थाओं के लिए काफी व्यय हुआ, परन्तु जनकल्याण के व्यय में बजट की कमी नहीं आने दी जाएगी। सरकार के खजाने पर पहला हक गरीबों का है। चौहान ने ध्वजारोहण के बाद प्रदेशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी। मुख्यमंत्री ने महिला विशेष सशस्त्र बल, जिला बल, शासकीय रेल पुलिस, विशेष शस्त्रबल हॉक फोर्स, एस.टी.एफ., नगर सेना, जेल विभाग और पुलिस बैंड की टुकड़ियों से सज्जित परेड का निरीक्षण किया।
 
इस अवसर पर राज्य मंत्रिपरिषद के सदस्य, मुख्यमंत्री चौहान की पत्नी श्रीमती साधना सिंह, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी और अन्य अधिकारी उपस्थित थे। चौहान और सभी उपस्थितों द्वारा 'भारत माता' के जयघोष के साथ मुख्यमंत्री का संबोधन प्रारंभ हुआ। चौहान ने राष्ट्र को स्वतंत्रता दिलवाने वाले वीर बलिदानियों के चरणों में नमन करते हुए कहा कि देश के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वालों के सम्मान में भोपाल में निर्मित शौर्य स्मारक में आज भारत माता की प्रतिमा स्थापित हुई है।
 
यह सभी को राष्ट्र प्रेम, शौर्य और साहस की प्रेरणा देगी। प्रत्येक नागरिक को भोपाल के शौर्य स्मारक में स्थापित इस प्रतिमा के दर्शन करना चाहिए। चौहान ने पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण किया तथा उनके कथन को उद्धृत करते हुए कहा कि भारतभूमि सिर्फ जमीन का टुकड़ा नहीं है। यही जीता जागता राष्ट्रपुरुष है। उन्होंने कहा कि ये वीरों की भूमि है। ये तर्पण और अर्पण कीण्‍ भूमि है। इसका कंकर कंकर शंकर है। इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है।
 
हम जिएंगे तो इसके लिए, मरेंगे, तो इसके लिए। मरने के बाद जब अस्थियां विसर्जित होंगी, तो जल से भी भारत माता के जयघोष की आवाज आएगी।  चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शक्तिशाली भारत का निर्माण हो रहा है। अब यह वर्ष 1962 का भारत नहीं है। यदि किसी शत्रु ने भारत की ओर आंख उठाकर देखा, तो उसे सबक सिखाने में भारत पीछे नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने शहीद सैनिकों के परिवार को एक करोड़ रुपये की राशि, परिवार के एक सदस्य को शासकीय सेवा और भूखंड प्रदान करने का निर्णय लेकर बलिदानियों के प्रति सम्मान का भाव प्रदर्शित किया है।   
 
चौहान ने कहा कि हमारी सीमा पर अतिक्रमण करने का दुस्साहस करने वालों को हमारे वीर सैनिकों ने अपने प्राणों की  परवाह न कर मुँहतोड़ जवाब दिया है। भारतीय सेना के गौरवशाली इतिहास के इस महत्वपूर्ण अध्याय में मध्यप्रदेश के रीवा जिले के फरेंदा गाँव के सैनिक दीपक सिंह ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया। चौहान ने दीपक सिंह के प्रति श्रद्धांजलि भी अर्पित की।  चौहान ने कोरोना संकट का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व में सही समय पर लिए गए सुविचारित निर्णयों के परिणामस्वरूप भारत ने कोरोना संक्रमण से बचाव की दिशा में प्रभावी कार्य किया है।
 
कठिन चुनौती भरे समय को अवसर के रूप में लेते हुए उन्होंने आत्मनिर्भर भारत का जो मंत्र दिया है, उस पर प्रदेश तेज गति से चल रहा है। चौहान ने कहा कि कोविड की आपदा से निपटने के लिए सरकार ने समाज के सहयोग से 'आई.आई.टी.टी.' अर्थात् ‘‘आईडेंटीफाई, आयसोलेट, टेस्ट एण्ड ट्रीट' की रणनीति बनाकर उस पर अमल किया। प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान अत्यावश्यक वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की गयी।
 
वहीं दूसरी तरफ चिकित्सा सामग्री एवं अन्य आवश्यक उपकरण जैसे—दवाएँ, मास्क, ग्लब्स, पीपीई किट्स, आॅक्सीजन सिलेंडर, वेंटीलेटर्स, टैसिं्टग लेबोरेटरी और टैसिं्टग किट्स आदि की पर्याप्त उपलब्धता रखी गयी। सरकार के प्रोत्साहन से कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए आवश्यक कई सामग्रियों का उत्पादन मध्यप्रदेश में ही प्रारंभ हुआ। चौहान ने बताया कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए एक जुलाई से 31 जुलाई, 2020 के मध्य चलाये गए 'किल कोरोना' अभियान में घर-घर जाकर शत-प्रतिशत परिवारों का सर्वे किया गया।
 
इसके एक अगस्त से प्रारंभ किए गए दूसरे चरण में सोशल डिस्टेंसिंग एवं मास्क लगाने की अनिवार्यता के संबंध में जनजागरूकता के लिए विस्तार का काम किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज से हम 'सहयोग से सुरक्षा' अभियान प्रारंभ कर रहे हैं, जिसका मूल मंत्र पांच शब्द हैं-प्रमोट-अर्थात् सुरक्षा के उपायों को बढ़ावा देना, परपेच्यूएट-अर्थात् परिवर्तित व्यवहार को स्थायी बनाना, प्रोपोगेट-अर्थात् गलत एवं भ्रामक जानकारियों का खंडन करना, पार्टिसिपेट-अर्थात् कोविड की रोकथाम में जन-सहयोग प्राप्त करना और प्रोटेक्ट-अर्थात् कोरोना संक्रमित को किसी भी भेदभाव से बचाना।
 
चौहान ने इसके साथ ही प्रदेश की जनता से आव्हान करते हुए कहा कि यदि हमें कोरोना की महामारी से आजादी पाना है, तो जब भी घर से बाहर निकलें, मास्क अवश्य लगायें। आपस में दो गज यानी कम से कम छह फीट की दूरी रखें, नियमित अंतराल पर अपने हाथ साबुन से धोते रहें। योग-प्राणायाम, व्यायाम, काढ़ा सेवन आदि के माध्यम से अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ायें। चौहान ने कोरोना संकट के शुरूआती दिनों में प्रवासी श्रमिकों की वापसी, बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने और अन्य नागरिकों के हित में उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी और सरकार की आगामी नीतियों के संबंध में भी बताया।
 
उन्होंने कहा कि श्रमिकों को रोजगार प्रदान करने के लिए बड़ा रोजगार कार्यक्रम ‘‘श्रम सिद्धि अभियान'  प्रारंभ किया गया, जिसके अन्तर्गत लगभग 61 लाख श्रमिकों का नियोजन हुआ है। प्रवासी मजदूरों को उनके निवास स्थान के समीप रोजगार देने के उद्देश्य से घर-घर सर्वे कर 14 लाख से अधिक श्रमिकों के जॉब कार्ड बनाए गए। अब तक 2400 करोड़ रुपये से अधिक की राशि मजदूरी के रूप में श्रमिकों के खातों में अंतरित की जा चुकी है। 
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि मनरेगा अंतर्गत सरकार द्वारा अपने पूर्व निर्धारित लेबर बजट 20 करोड़ 50 लाख मानव दिवस में 66 प्रतिशत वृद्धि करते हुए 34 करोड़ से अधिक मानव दिवस अर्जित करने का लक्ष्य रखा गया है। कुशल श्रमिकों और नियोक्ताओं को एक मंच पर लाकर रोजगार उपलब्ध करवाने के लिये रोजगार सेतु पोर्टल प्रारंभ किया गया। पोर्टल के माध्यम से अब तक लगभग 39 हजार प्रवासी श्रमिकों को उनके कौशल के अनुरूप रोजगार प्राप्त हुआ है। चौहान ने 'शहरी एवं ग्रामीण स्ट्रीट वेंडर' योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण स्ट्रीट वेंडर ऋण योजना, संबल योजना, 'वन नेशन वन राशन कार्ड' योजना और प्रारंभ की गयीं अन्य पहल के बारे में भी बताया।
 
उन्होंने कहा कि इस बार राज्य ने तमाम विपरीत स्थितियों के बीच गेंहू उपार्जन में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। पंजाब को पीछे छोड़ते हुए एक करोड़ 29 लाख 42 हजार मीट्रिक टन से अधिक गेहूँ लगभग 15 लाख 81 हजार किसानों से उपार्जित किया गया। किसानों को 24 हजार 800 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान भी समय पर किया गया। इस तरह मध्यप्रदेश पूरे देश में नंबर वन पर उपार्जन करने वाला राज्य बन गया। 
 
उन्होंने कहा कि किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर फसल ऋण उपलब्ध कराने की योजना सतत जारी रखी गई है। किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने के उद्देश्य से मंडी अधिनियम में संशोधन किए गए। एक ही लायसेंस से व्यापार करने, निजी क्षेत्र में मण्डियों की स्थापना एवं कृषि उपज को किसान के द्वार से सीधे खरीदने की सुविधा दी गई है। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश अभियान के अंतर्गत अगले तीन वर्ष में प्रदेश में 1000 नवीन कृषक उत्पादक संगठनों का सृजन कर इन्हें पूँजी अनुदान, क्रेडिट गारंटी और प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
 
प्रदेश में बड़ी संख्या में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की जीवन-दायिनी नर्मदा नदी है। मध्यप्रदेश को आवंटित 18.25 एम.ए.एफ. नर्मदा जल का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए रणनीति पर काम चल रहा है। नर्मदा कछार में 2.85 मिलियन एकड़ फीट अतिरिक्त जल भण्डारण के लिये 13 हजार 544 करोड़ रुपये लागत की आठ नवीन परियोजनाओं की स्वीकृतियाँ प्रदान की गई हैं। राज्य शासन द्वारा साँवेर परियोजना सहित अनेक सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
 
चौहान ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए प्रदेश में महिला स्व-सहायता समूहों के लिए कम ब्याज पर ऋण दिलाने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि इस वर्ष 1300 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण चार प्रतिशत की ब्याज दर पर प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की कल्पना को साकार करते हुए कोविड-19 आपदा के दौरान प्रदेश के 20 हजार से अधिक स्व-सहायता समूह सदस्यों द्वारा एक करोड़ 12 लाख से अधिक मास्क, एक लाख 12 हजार से अधिक पी.पीई. किट्स, 96 हजार लीटर सेनिटाइजर तथा दो लाख से अधिक साबुन बनाकर विक्रय किए गए।
 
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