देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सचिवालय में सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग के दौरान कहा कि उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को ई-विधानसभा बनाया जायेगा। त्रिवेन्द्र ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण से मुक्ति एवं जैव विविधता को बनाये रखने के लिए हमें जनभागीदारी से प्रयास करने होंगे। पर्यावरण और मानव के बीच कैसे संतुलन बना रहे, इस दिशा में अनुसंधान की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ई-कैबिनेट की शुरूआत की है।
हमने अपने कार्यालयों को ई-आॅफिस बनाने का निर्णय लिया। अभी 17 कार्यालय, ई-ऑफिस हो गये हैं। प्रयास है कि राज्य के ब्लॉक स्तर तक जितने भी कार्यालय हैं, इनको ई-ऑफिस बनाया जाय। उन्होंने कहा कि हरेला पर्व पर शरीरिक दूरी का पालन करते हुए व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण किया जायेगा। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि हरेला पर्व पर वृक्षारोपण के लिए जन सहभागिता पर विशेष ध्यान दिया जाय। किसी भी अभियान को सफल बनाने के लिए जन सहयोग बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी अपने जनपदों में नदियों, नौलों, एवं जल के स्रोतों के पुनर्जीवन की दिशा में कार्य करें। राज्य सरकार ने ‘मिशन रिस्पना टू ऋषिपर्णा एवं कोसी’ के पुनर्जीवन का लक्ष्य रखा है। रिस्पना नदी के लिए आईआईटी रूड़की ने प्रोजक्ट रिपोर्ट तैयार की है। इस अभियान के तहत मिशन मोड में कार्य किया जायेगा। वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश का देश में जैव विविधता को बनाये रखने में महत्वपूर्ण योगदान है।
राज्य में देश की 28 प्रतिशत जैव विविधता पायी जाती है। यहां की जैव विविधता का प्रभाव भारत ही नहीं अपितू सम्पूर्ण विश्व पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संतुलन के लिए लोगों में सजगता होना बहुत जरूरी है। हम छोटे-छोटे प्रयासों से भी इस दिशा में अपना योगदान दे सकते हैं। हम भावी पीढ़ी को कैसा पर्यावरण देना चाहते हैं, यह हम पर निर्भर है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड राज्य की पर्यावरण रिपोर्ट की बुक का विमोचन भी किया। बैठक में मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार रविन्द्र दत्त, प्रमुख सचिव वन आनन्द वर्द्धन, पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एस.एस.नेगी, प्रमुख वन संरक्षक जयराज, निदेशक उत्तराखण्ड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एस.पी. सुबुद्धि आदि उपस्थित थे।