बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायलय ने पिछले महीने पूर्व पहले मरवाही सदन में नौकर की आत्महत्या के मामले में स्वयं पर दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी एवं उनके पुत्र अमित जोगी द्वारा दायर याचिका खारिज कर दिया है। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आरपी शर्मा की एकल पीठ ने आज यह निर्णय सुनाया,इससे जोगी पिता पुत्र को झटका लगा है। गत 15 जनवरी को बिलासपुर स्थित अजीत जोगी के सरकारी बंगले मरवाही सदन में उनके रसोईये कोनी थाना क्षेत्र के रमतला निवासी संतोष कौशिक उर्फ मनवा ने आत्महत्या कर ली थी।
घटना के बाद उनके भाई कृष्ण कुमार कौशिक व अन्य परिजनों ने सिविल लाइन पुलिस के समक्ष दिये गये बयान में कहा था कि अजीत जोगी, अमित जोगी और बंगले में मौजूद स्टाफ द्वारा मृतक पर चोरी का आरोप लगाकर प्रताड़ति किया जा रहा था। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने जोगी पिता पुत्र के खिलाफ मृतक संतोष कौशिक को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में अपराध दर्ज कर लिया था। पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग को लेकर अजीत जोगी,अमित जोगी ने हाईकोर्ट में अप ने अधिवक्ता के माध्यम से याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि जब आत्महत्या की घटना हुई वे बंगले में नहीं थे।
अमित जोगी मुम्बई में थे तथा अजीत जोगी भी बिलासपुर से बाहर थे। राजनैतिक प्रतिशोध के कारण पुलिस पर दबाव डालकर उनके खिलाफ अपराध दर्ज कराया गया है। याचिका पर सुनवाई पहले ही पूरी हो गई थी। अदालत ने आज निर्णय सुनाया।