नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के बर्फीले जनजातीय लाहौल स्पीति जिले को छोड़कर शेष सभी 11 जिलों में स्वदेशी नस्ल की गाय के संरक्षण एवं विकास के उद्देश्य से गाय अभयारण्य बनाने की योजना बनायी है। राज्य के पशु पालन एवं मत्स्य पालन मंत्री वीरेन्द्र कँवर ने यहां यूनीवार्ता को बताया कि प्रारंभिक चरण में प्राकृतिक वातावरण में घास चरने और मेडिकल सुविधाओं वाला गाय अभयारण्य स्थापित किया जा रहा है और अभी सिरमौर जिले में कोटला बड़ोग, सोलन जिले में हांडा कुंडी , हमीरपुर जिले में खेड़ी, ऊना जिले में थाना कलां खास , काँगड़ा जिले में इंदौरा-डमटाल, कुदन-पालमपुर, कंजैहन जैसिंघपुर, लुथान ज्वाला मुखी और बिलासपुर जिले में बरोटा-डबवाल, धार - टटोह गाय अभयारण्य स्थापित करने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा कि राज्य के जनजातीय जिले लाहौल स्पीति में यह अभयारण्य नहीं बनाया जायेगा क्योंकि उस जिले में आवारा पशु नहीं पाए गए है। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा चार गाय अभयारण्य काँगड़ा जिले में बनाये जायेंगे। मन्दिर ट्रस्ट द्वारा संचालित बैन अत्तारियन में संचालित गाय अभयारण्य की चार दीवारी का काम 77.90 लाख रुपये की लागत से निर्माणाधीन है जिससे गाय सदन की क्षमता वर्तमान 250 से बढ़ाकर 1000 तक पहुँच जाएगी।
कँवर ने बताया कि प्रारंभ में राज्य के प्रत्येक जिले में कम से कम एक गाय अभयारण्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है तथा काँगड़ा जैसे बड़े जिलों में जहाँ पशुओं की संख्या ज्यादा है वहां चार अभयारण्य बनाने का फैसला किया गया है। इस समय सिरमौर, सोलन, ऊना, हमीरपुर, और चंबा जिलों में तीन गाय अभयारण्य और दो बड़े अभयारण्य के निर्माण कार्य जोरों पर है। सिरमौर के कोटला बड़ोग में 300 से 500 गायों के रहने की क्षमता वाला, ऊना जिला के थाना कलां खास में 400 से 600 क्षमता वाला, हमीरपुर के खेरी में 600 गाय क्षमता, चंबा जिला के मंझीर में 300 से 400 गाय रखने की क्षमता वाला गाय अभयारण्य का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है।
उन्होंने कहा कि सिरमौर के कोटला बड़ोग के गाय अभयारण्य के लिए 1. 52 करोड़ रुपये , सोलन जिले के हांडा कुण्डली के अभयारण्य के लिए 2.97करोड़ रुपये, ऊना जिले के थाना कलां खास अभयारण्य के लिए 1.69करोड़ रुपये, हमीरपुर के खेरी अभयारण्य के लिए 2.56 करोड़ रुपये, चंबा जिले के मंझीर अभयारण्य के लिए 1.66करोड़ रुपये के बजटीय प्रावधान किये गये हैं जो चालू वर्ष में शुरू हो जायेंगे। कँवर ने कहा कि राज्य सरकार ने ढांचा गत निर्माण में कार्यरत विभिन्न विभागों जैसे लोक निर्माण, ग्रामीण विकास विभाग, हाउसिंग बोर्ड आदि को सम्बंधित जिलों में नोडल विभाग घोषित कर दिया है। राज्य में इस समय सड़कों पर आवारा घूमने वाले पशुओं की संख्या 27, 352 आंकी गयी है जबकि 13 ,337 गाय गौसदनों, गौशालाओं में है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने गाय अभयारण्यों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने के लिए सभी मन्दिर ट्रस्टों को अपनी आमदनी का 15 प्रतिशत हिस्सा देने के आदेश जारी किये हैं तथा राज्य सरकार गैर सरकारी संगठनों, ग्राम पंचायतों और स्थानीय निकायों को पी पी पी मॉडल पर गौ सदन चलाने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। इन अभयारण्यों को आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनाने के लिए गाय गोबर/ गौ मूत्र से बायो गैस बनाने और अन्य उत्पाद बनाये जायेंगे जिससे अतिरिक्त आमदनी के साधन उपलब्ध होंगे।