देवरिया। उत्तर प्रदेश के देवरिया में महाशिवरात्रि के अवसर पर विभिन्न शिवालयों में भक्तों हर-हर महादेव के जयकारों की बाबा का जलाभिषेक कर रहे हैं। रूद्रपुर के दुग्धेश्वर नाथ मंदिर में शुक्रवार को करीब साठ हजार से ज्यादा भक्तों ने जलाभिषेक किया है। महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर शिवभक्त ब्रह्म बेला से ही शिवालयों में जाकर बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक कर रहे हैं। छोटी काशी के नाम से मशहूर रुद्रपुर के दुग्धेश्वरनाथ मंदिर में साठ हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया है।
भीड़ को देखते हुए शिवालयों पर सुरक्षा का व्यापक बंदोबस्त किया गया था। दुग्धेश्वर नाथ मंदिर में जिलाधिकारी अमित किशोर और पुलिस अधीक्षक डा.श्रीपति मिश्र मंदिर परिसर में कैम्प कर सुरक्षा का जायजा लिया। मंदिर पर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए जगह-जगह भारी संख्या में पुलिस फोर्स मौजूद रही। शहर के देवरिया-कसया बाईपास रोड स्थित सोमनाथ मंदिर पर सुबह से दर्शनार्थियों की लम्बी कतार जुट गयी। मंदिर परिसर में बम-बम भोले के जयकारे में गूंज उठा।
हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने भगवान का जलाभिषेक कर आशीर्वाद मांगा। जिले में स्थित प्रमुख शिवालयों दीर्घेश्वर नाथ मंदिर, महेन्द्रनाथ मंदिर व सोहगरा धाम स्थित शिव मंदिरों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया है। वहीं भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सभी मंदिरों पर सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई थी। दुग्धेश्वर नाथ मंदिर से करीब दो बजे शिव बारात भी निकली। बारात में हजारों लोग भक्तिभाव में नाचते गाते कस्बे में घूमते हुए वापस मंदिर पर आये।
रूद्रपुर के दुग्धेश्वर नाथ मंदिर में जलाभिषेक करने के बाद सरकार के मंत्री जय प्रकाश निषाद ने यहां ‘‘यूनीवार्ता ’’ से बातचीत करते हुए कहा कि इस प्राचीन नगरी को दूसरी काशी भी कहा जाता है। वैसे तो यहां वर्ष भर भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन शिवरात्रि, अधिकमास और श्रावणमास में देवरिया के ही नहीं बल्कि बिहार और नेपाल से भी भक्त बाबा का जलाभिषेक करने आते हैं। उन्होंने बताया कि भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने काफी अच्छी व्यवस्था की है।
जलाभिषेक के लिए प्रशासन ने महिलाओं और पुरूषों की अलग-अलग लाईन की व्यवस्था की है। सुरक्षा को देखते हुए भारी पुलिस फोर्स ड्यूटी दे रही है। उन्होंने बताया कि इस मंदिर का क्षेत्र फल करीब 230 एकड़ में फैला है। जिसमें सहन कोटी भी आती है। शिवरात्रि पर लगने वाला यह मेला होली के एक दिन पूर्व समाप्त होता है। इस मेले में दूर-दूर से लोग आते हैं।