लखनऊ। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि केन्द्र सरकार को क्षेत्रीय समग्र व्यापार संधि में हस्ताक्षर करने से बचना चाहिये। यादव ने कहा कि सोमवार में बैंकाक में 16 देशों के बीच होने वाली आरसीईपी किसानों के हितों पर गहरा आघात करने वाली है। केन्द्र सरकार को इस पर संसद में चर्चा होने तक हस्ताक्षर नहीं करना चाहिए। आरसीईपी के लागू होने से कृषि पर संकट और गम्भीर हो जाएगा। इस समझौते से भारत के किसानों की जिंदगी और बदहाल हो जाएगी।
उन्होने कहा कि दुनिया भर में सरकारें फसलों की लागत में भारी छूट देती है और अपने किसानों की खेती को अच्छी सुविधाएं प्रदान करती है। इससे उनकी उपज के दाम बाजार में प्रतियोगी बने रहते है। भाजपा सरकार की कारपोरेट पक्षधर नीतियों के कारण भारतीय किसान विश्व बाजार में अपनी फसलें बेचने में अक्षम हैं। यहां उन्हें तमाम परेशानियों से गुजरना पड़ता है। खेती किसानी में उपयोग में आने वाले उपकरण हो या खाद, कीटनाशक, सिंचाई, बीज, बिजली सब उन्हें मंहगे मिलते हैं। बैंकों से कर्ज भी आसानी से नहीं मिलता है। कृषि की नई तकनीक उन तक नहीं पहुंच पाती है।
सपा अध्यक्ष ने कहा कि आरसीईपी से सर्वाधिक प्रभावित डेयरी क्षेत्र होगा। इसमें आयात शुल्क शून्य या लगभग शून्य हो जाने से 10 करोड़ डेयरी किसान परिवारों के रोजगार पर हमला होगा। इसी तरह का खतरा गेंहू और कपास तिलहन और प्लांटेशन उत्पाद काली मिर्च, नारियल, सुपाड़ी, इलायची, रबर आदि पर होगा। आरसीईपी से विदेशी कम्पनियों को खेती की जमीन अधिगृहीत करने, अनाज की सरकारी खरीद में हस्तक्षेप करने, खाद्यान्न प्रसंस्करण में निवेश करने तथा ई-व्यापार बढ़ाकर छोटे दुकानदारों को नष्ट करने से भारतीय किसान अधिक मात्रा में कारपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे, जिनका मुनाफा किसानों की कीमत पर बढ़ेगा।