उत्तर प्रदेश। उपचुनाव से पहले योगी सरकार को लगा करारा झटका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री योगी आदिल्यनाथ के शासनादेश पर पहली ही नजर में रोक लगा दी है । यूपी में 12 सीटों पर इसी साल उपचुनाव होने हैं. गौरतलब है कि योगी सरकार ने 24 जून को 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का शासनादेश जारी किया था। सामाजिक कार्यकर्ता गोरख प्रसाद ने याचिका दाखिल कर राज्य सरकार के इस फैसले को चुनौती दी थी जिसपर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजीव मिश्र की डिवीजन बेंच ने फौरी तौर पर माना कि सरकार का फैसला गलत है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार को इस तरह का फैसला लेने का अधिकार ही नहीं है।
सिर्फ संसद ही एससी-एसटी की जातियों में बदलाव कर सकती है। केंद्र व राज्य सरकारों को इसमें किसी तरह के बदलाव का संवैधानिक अधिकार नहीं है। यूपी सरकार ने ओबीसी की 17 जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में डाल दिया है। इनमें कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर आदि शामिल हैं। योगी सरकार ने अपने इस फैसले के बाद सभी जिलों के जिलाधिकारियों को इन जातियों के परिवारों को प्रमाण दिए जाने का आदेश दे दिया था। राज्यपाल ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा अधिनियम 1994 की धारा 13 के अधीन शक्ति का प्रयोग करके इसमें संशोधन किया है।
फेल हुए हैं पहले भी प्रयास :- उत्तर प्रदेश में इससे पहले साल 2005 में तत्कालीन मुलायम सरकार ने ओबीसी की कई जातियों को एससी कैटेगरी में शामिल करने का फैसला लिया था, जिस फैसले पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. इसके बाद साल 2013 में शिल्पकार और धनगड़ जातियों में कुछ उपजातियों को जोड़कर उन्हें एससी कैटेगरी में शामिल करने की कोशिश की गई थी, लेकिन तत्कालीन सरकार का यह फैसला भी हाईकोर्ट में टिक नहीं सका.