नोएडा। भारत में सबसे बड़ी ऑटोमेशन एवं रोबोटिक्स कंपनियों में से एक एडवर्ब टेक्नोलॉजीज ने ‘पायनियर ‘मेन-रोबोट कॉलेबरेशन टु टच ‘मेन लाइव्स’ के विजन के साथ नोएडा में ‘बोट-वैली’ नाम से अपनी विश्वस्तरीय निर्माण इकाई का आज यहां उद्घाटन कर दिया। इस पर कंपनी ने 75 करोड़ रुपए का निवेश किया है। इस संयंत्र की स्थापना के साथ एडवर्ब ने भारत में रोबोटिक्स इंडस्ट्री के लिए एक सेल्फ-सस्टेनिंग इकोसिस्टम तैयार करने की योजना बनाई है जो नए उत्पादों और प्रौद्योगिकी सॉल्युशनों का दुनियाभर में निर्यात कर सके। नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ कांत ने इस संयंत्र का उद्घाटन किया।
लगभग 2.5 एकड़ भूमि में फैले इस संयंत्र की क्षमता हर साल विभिन्न तरह के 50,000 से ज्यादा रोबोट निर्माण करने की है। एडवर्ब ने यूरोप, दक्षिण-पूर्व एषिया और आस्ट्रेलिया में ग्राहक जोड़कर अपनी वैष्विक उपस्थिति बनाई है और सिंगापुर, आस्ट्रेलिया एवं नीदरलैंड में 100 प्रतिशत स्वामित्व वाली सहायक इकाइयां स्थापित की हैं। इस अवसर पर कांत ने कहा, ‘‘पिछले दशक में कई बड़े बदलाव दर्ज किए गए और नई प्रौद्योगिकियां सामने आई है। हमने आरंभिक बदलाव (इंडस्ट्री 4.0) में प्रवेश किया है, जिसमें एडवर्ब के लिए टेक्नोलॉजी बढ़ती जरूरतों और मौजूदा व्यावसायिक तंत्र की मांग को पूरा करने में मदद करेगी।
रोबोटिक्स में सभी उद्योगों की प्रक्रियाओं को आसान बनाने की व्यापक क्षमता है, जिनमें रिटेल से लेकर हेल्थकेयर और वेयरहाउसिंग से लेकर सप्लाई चेन मुख्य रूप से शामिल हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस अत्याधुनिक संयंत्र की स्थापना और वैष्विक मोर्चों पर भारत की ताकत को सामने लाने के लिए एडवर्ब टेक्नोलॉजीज को धन्यवाद देना चाहता हूं। यह संयंत्र वैष्विक मानकों के अनुरूप और आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक-इन-इंडिया मिषन को बढ़ावा देने और हमारे देश को ग्लोबल रोबोटिक्स इंडस्ट्री की राजधानी के तौर पर पहचान दिलाने में मददगार होगा।’’
एडवर्ब टेक्नोलॉजीज के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष संगीत कुमार ने कहा, ‘‘यह नया संयंत्र वैश्विक मोर्चे पर भारत की ताकत को प्रदर्शित करेगा और देश के संपूर्ण रोबोटिक्स तंत्र को मजबूत बनाएगा। स्वचालन की बढ़ती मांग के बाद भी, भारत में वैश्विक औसत के मुकाबले खासकर छोटे और मझोले उद्यमों में रोबोटिक्स की पैठ कमजोर बनी हुई है। इस विष्वस्तरीय संयंत्र की स्थापना के साथ, हम भारत को दुनिया के आर एंड डी केंद्र के तौर पर पेश करने और भारतीय निर्माताओं को बदलती प्रौद्योगिकियों को अपनाने और स्थानीय तथा वैश्विक बाजारों के लिए निर्माता बनने की दिशा में नए कौशल साझा करने तथा उन्हें प्रोत्साहित करने में सक्षम होंगे।’’