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मार्च 24 के बाद देश में आया बड़ा बदलाव : कांग्रेस

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 31 2020 2:30PM | Updated Date: May 31 2020 2:30PM
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नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा है कि कोरोना को हराने के लिए सरकार की ओर से 24 मार्च को लागू किये गये लॉकडाउन के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों ने भाईचारे के ऐसे कई उदाहरण पेश किये जिनसे मोदी सरकार का एजेंडा ही बदल गया और देश नयी राह पर चल पड़ा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने रविवार को यहां विशेष संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार 24 मार्च से पहले और उसके बाद जो काम कर रही है, उसमें बहुत फर्क है। पिछले वर्ष मई से लेकर इस साल 24 मार्च तक यह सरकार ध्रुवीकरण की राजनीति करती रही और अनुच्छेद 370, राम मंदिर, तीन तलाक तथा एनआरसी जैसे मुद्दों के सहारे राजनीतिक फायदे के लिए काम करती रही लेकिन कोरोना की महामारी के बाद इस सरकार का एजेंडा देश की जनता ने बदल दिया।

उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद सरकार का एजेंडा पीछे छूट गया और यह महामारी दुनिया के अन्य देशों की तरह हमारी सरकार के लिए भी लाचारी बन गयी। मोदी सरकार इससे पहले देश में भाईचारा बिगाड़ रही थी लेकिन महामारी का फैलाव रोकने के लिए उसने जो लॉकडाउन लगाया, उसमें मानवता की सेवा देखने को मिली जिससे बिना किसी भेदभाव के भाईचारे को बढ़ावा मिला। लॉकडाउन में भेदभाव को दरकिनार कर लोगों ने जिस तरह से एक-दूसरे की मदद की, उसने पूरे देश को जता दिया कि हम सबके लिए भाईचारा ही सबसे महत्वपूर्ण है। कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार का ध्यान इस महामारी से निपटने में नहीं रहा है। पहले वह सिर्फ अपने एजेंडे पर ही काम करती रही है।

यदि सरकार इस दिशा में काम कर रही होती और लॉकडाउन को सोच समझ कर लागू कर दिया होता तो  लोगों को दिक्कत नहीं होती। उनका कहना था कि सरकार आज गरीब को खड़ा कर रही है जबकि यह महामारी विदेशों से आयी है। उस समय इसे रोकना चाहिए था लेकिन सरकार ने यह काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में भुखमरी के कारण 13 मई तक 73 लोगों की जान गयी है जो बहुत ही शर्मनाक है।  इस पूरी अवधि में करीब 670 लोगों की लॉकडाउन के कारण मौत हुई है। उन्होंने 30 हजार लोगों पर किये गये एक सर्वेक्षण का हवाला दिया जिसके मुताबिक 93 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें राशन नहीं मिला है। इसके साथ 91 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनको रोजगार नहीं दिया गया है। श्रमिक ट्रेन चलाई गयी लेकिन लोगों को भोजन नहीं मिला। इसका मतलब सरकार ने गरीबों के लिए कुछ किया ही नहीं। 

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