शिमला। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कोरोना माहमारी के चलते प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) सरकार में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार की कड़ीं निदा करते हुये स्वास्थ्य विभाग से जुड़े रिश्वत मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिये किसी न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की है। सिंह ने आज यहां जारी एक बयान में कहा कि चूंकि स्वास्थय विभाग मुख्यमंत्री के पास है इसलिए इसकी संवेदनशीलता और भी बढ़ जाती है।
मुख्यमंत्री को मामले की पूरी जांच किसी जज से करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि 60 साल के राजनीतक जीवन में कभी कोई ऐसा दौर नही देखा जब ऐसी विपदा के समय कोई राजनीतिक दल पर कथित तौर पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बिंदल का भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पद से इस्तीफा, वास्तव में भाजपा के भीतर जो अंतर्कलह चल रही है, उससे लोगों का ध्यान हटाने मात्र का यह एक असफल प्रयास है। संकट की इस घड़ी में कथित तौर पर रिश्वत लेने के आरोप में स्वास्थ्य निदेशक की गिरफ्तारी से साफ है कि इसके तार सीधे भाजपा के बड़े नेताओं से जुड़े हैं।
सिंह ने कहा है कि स्वास्थ्य विभाग में कोरोना किट्स, वेंटिलेटर, मास्क, सेनेटाइजर और पीपीई जैसे आवश्यक उपकरणों की आपूर्ति को लेकर रिश्वत और प्रदेश सचिवालय में सेनेटाइजर की आपूर्ति घोटाले ने भाजपा की कथित ईमानदारी की पूरी पोल खोल दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार चुनौतियों से निपटने में पूरी तरह असफल साबित हो रही है।
लोगों को राहत देने के वजाय महंगाई परोसी जा रही है। किसानों, बागवानों के साथ आम लोगों की समस्याओं की ओर सरकार का कोई भी ध्यान नही है। सरकार पूरी तरह से संवेदनहीन नजर आ रही है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस ने प्रदेश सरकार को जो जनहित के सुझाव दिये थे उन पर भी वह आज दिन तक खामोश बैठी है।
जब कांग्रेस और भाजपा के विद्यायकों ने इसकी चर्चा के लिए विशेष विधानसभा सत्र बुलाने की बात कही तो भाजपा अध्यक्ष को यह भी गवारा नहीं लगा। साफ है कि भाजपा और सरकार के भीतर कोई टकराव चल रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा में कुछ भी चले, यह उसका अंदरूनी मसला है पर इसमें प्रदेश के लोग इसमें नहीं पिसने चाहिएं। कांग्रेस इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेगी।