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कोविड-19 संक्रमण रोकने में मददगार हो सकती है सीएसआईओ की मशीन

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 7 2020 1:46PM | Updated Date: Apr 7 2020 1:47PM
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नई दिल्ली। कोरोना विषाणु के संक्रमण को रोकने में केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित इलेक्ट्रोस्टेटिक डिसइन्फेक्शन मशीन प्रभावी साबित हो सकती है। बड़े पैमाने पर इस मशीन का उत्पादन करने के लिए इसकी तकनीक को भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड को सौंपा गया है। यह इलेक्ट्रोस्टेटिक डिस्इन्फेक्शन मशीन स्थिर वैद्युतिक रूप से आवेशित अत्यंत सूक्ष्म द्रव कणों का छिड़काव कर सकती है। इस मशीन के उपयोग से संक्रमण फैलाने वाले सूक्ष्मजीवों से किसी सतह को मुक्त किया जा सकता है। 

इसमें किसी भी दवा का उपयोग छिड़काव के लिए किया जा सकता है। मशीन से 10-20 माइक्रोन आकार के सूक्ष्म द्रव कणों का छिड़काव कर सकती हैं। बाजार में मिलने वाली इस तरह की दूसरी मशीनें आमतौर पर 40-50 माइक्रोन आकार के द्रव कणों का छिड़काव कर पाती हैं। सीएसआईओ के वैज्ञानिक डॉ मनोज पटेल के मुताबिक ‘‘मशीन से निकलने वाले द्रव कणों के प्रवाह की दर 110 मिलीलीटर प्रति मिनट है। हालाँकि, इसकी प्रवाह दर में बदलाव भी जा सकता है। दूसरी मशीनों के मुकबाले यह मशीन बेहद छोटे और समान आकार के द्रव कणों का छिड़काव करने में प्रभावी पायी गई है। 

छिड़काव के दौरान मशीन से निकलने वाले द्रव कणों से सतह पर किसी वायरस या संक्रमण के बचे रहने की संभावना लगभग न के बराबर रह जाती है।’’ इस मशीन को मुख्य रूप से अस्पतालों, एयरपोर्ट, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन जैसे सार्वजनिक स्थलों की सफाई के लिए बनाया गया था। लेकिन, इसका उपयोग अब कोविड-19 के संक्रमण को दूर करने में भी किया जा सकता है। मशीन सतह को पूरी तरह कवर कर सकती है और इसमें दवा का उपयोग भी लगभग आधा हो सकता है। डॉ पटेल ने बताया कि ‘‘इस मशीन का उपयोग इनडोर-आउटडोर दोनों जगह सैनिटाइजेशन के लिए किया जा सकता है। यह पर्यावरण के अनुकूल है और इसका असर हानिकारक सूक्ष्मजीवों पर सामान्य से 80 प्रतिशत अधिक हो सकता है। यह तकनीक आवेशित कणों पर आधारित है, कोविड-19 से संक्रमित सतह से वायरस को हटाने में कारगर हो सकती है।’’

चंडीगढ़ स्थित सीएसआईओ वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद की एक प्रमुख वैज्ञानिक प्रयोगशाला है। कोविड-19 से निपटने के अपने प्रयासों को तेज करने के लिए सीएसआईआर ने हाल में बीएचईएल के अलावा दवा निर्माता कंपनी सिप्ला और साफ्टवेयर जगत की कंपनी टीसीएस की लाइफ साइंस विंग के साथ करार किया है। इस मशीन का उत्पादन हरिद्वार स्थित बीएचईएल की प्रमुख विनिर्माण इकाई में किया जाएगा। इस मशीन को सीएसआईआर मिशन-मोड प्रोग्राम ऑन फूड एंड कंज्यूमर सेफ्टी सॉल्यूशन के तहत विकसित किया गया है। यह मशीन करीब 50 हजार रुपये की लागत से विकसित की गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि बीएचईएल में बड़े पैमाने पर इस मशीन का उत्पादन किया जाएगा तो इसकी लागत और भी कम हो सकती है।

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