नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने चुनावों के दौरान मतदाताओं को रिझाने के लिए लोक-लुभावन कदमों पर बुधवार को राजनीतिक दलों को चेतावनी देते हुए कहा कि इससे विकास पर होने वाले खर्च पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। नायडू ने उप राष्ट्रपति भवन में बेंगलुरू के विधि के छात्रों से बातचीत करते हुए कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करना जनता के हाथ में है। उन्होंने कहा कि मतदान करना केवल एक अधिकार ही नहीं है, बल्कि उनका उत्तरदायित्व भी है। उन्होंने लोगों से कहा कि वे अपने प्रतिनिधियों को चुनते समय चार सीझ्रकरेक्टर, कंडक्ट, कैलिबर और कैपेसिटी को ध्यान में रखें। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से कुछ लोग अन्य चार सीझ्रकास्ट, कम्युनिटी, कैश और क्रिमिनलिटी को बढ़ावा देकर लोकतंत्र को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों का चयन करते समय लोगों को सोच-विचार कर निर्णय लेना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के लिए एक साथ चुनाव कराने पर जोर देते हुए कहा कि इससे एक समय में ही पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर लोकतंत्र की मजबूती के लिए राज्यों में किसी कारण से स्थानीय निकायों के चुनावों को स्थगित करने की संभावना नहीं होनी चाहिए। नायडू ने कहा कि न्याय तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करने में अधिवक्ता महत्वपूर्ण पक्ष हैं। उन्होंने कहा कि अंतिम व्यक्ति तक न्याय की पहुंच सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे स्थिर और समृद्ध समाज की नींव तैयार होती है। विभिन्न न्यायालयों में अत्यधिक संख्या में लंबित मुकदमें के बारे में उपराष्ट्रपति ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में लगभग 60 हजार मुकदमें लंबित हैं और उच्च न्यायालयों में लगभग 44 लाख मुकदमे हैं।