नई दिल्ली। भारत को 2025 तक क्षय रोग से मुक्त करने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है लेकिन इसके पीड़तिों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। इसके मद्देनजर स्वास्थ्य विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने सरकार से एक बहु आयामी दृष्टिकोण अपनाने की अपील करते हुये इसमें इसमें निजी संस्थाओं और पैथोलॉजिकल प्रयोगशालाओं को शामिल करने की जरूरत बतायी है। नेक्स्ट जेन इनविट्रो डायग्नोस्टिक्स लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विवेक चंद्रा का कहना है कि इस बड़ी चुनौती से निपटने के निदान करने की जरूरत है। भारत 2025 तक टीबी मुक्त हो सकता है यह सुनिश्चित करके कि सभी संदिग्धों का पहले निदान किया जाना चाहिए और जो भी लोग टीबी के परीक्षण में संक्रमित हैं, उन्हें सरकारी योजना के अंतर्गत त्वरित उपचार दिया जाना चाहिए चाहे वे सरकारी संस्था में उपचार के लिए आये या निजी संस्था में जाये।
उन्होंने कहा कि डाइग्नोसिस एक ही विकल्प है जो टीबी को समाप्त करने के मार्ग पर ले जा सकता है। एक डाइग्नोस्टिक उपकरण जो दूरस्थ स्थान पर भी रोगी के निकट उपलब्ध है, यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी टीबी संदिग्ध डायग्नोस होने से अछूता न:न राह जाए। जीन एक्सपर्ट जैसे उपकरण, जो फास्ट ड्रग सेंसिटिविटी परीक्षण, सही दवा और 99 डॉट्स जैसे कार्यक्रमों को सक्षम बनाता है। बीमारी से निपटने के लिए एक व्यापक इको-सिस्टम बनाया जा रहा है और ज्यादा जोर इस बात पर दिया जाना चाहिए कि कैसे प्राइवेट संस्थाओं का अधिकाधिक सहयोग लिया जाए। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक रोगियों को खुलकर बात करने और सरकारी कार्यक्रम तक पहुंचने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। इसमें एनजीओ, बड़े औद्योगिक घरानों और निजी चिकित्सकों को साथ लाने और उपचार के अंतर्गत अधिक संक्रमितों को लाने के लिए बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग अभियान चलाने की आवश्यकता है।