वैदिक ज्योतिष में नौ ग्रहों के साथ उनके मुख्य रत्न और उपरत्नों का संबंध है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि लोग बिना किसी ज्योतिषीय सलाह के या फिर थोड़ी जानकारी के ही रत्नों को धारण करना शुरू कर देते हैं। लेकिन रत्नों को शौकिया तौर पर पहन लेना कतई अच्छा नहीं होता। अगर वो रत्न आपको शूट करते हैं तब तो ठीक है लेकिन अगर वो सूट नहीं करते तो उसका विपरीत प्रभाव आपके जीवन पर पड़ता है।
गलत रत्न गलत समय पर धारण करने से आपका जीवन भी बर्बाद हो सकता है। वैदिक ज्योतिष में रत्नों को धारण करने के कई सारे नियम बनाए गए हैं, जिनका सही तौर से पालन करना भी बेहद जरूरी होता है, रत्नों को पहनने की तिथि और कैसे पहनना चाहिए ये तो आपको पता होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन रत्नों को आपको कब धारण करना चाहिए? आइए रत्नों के बारे में ये जान लेते हैं कि इन्हें कब, किस दिन और किस ग्रह स्थिति में धारण करना चाहिए?
चलित महादशा - लोग अक्सर अपने लग्न, राशि या फिर चलित महादशा के अनुसार ही ग्रह रत्नों को धारण करते हैं। ये बहुत ही ज्यादा प्रचलित है लेकिन ये पूरी तरह से सही नहीं है। ये आवश्यक नहीं है कि जो लग्न, राशि या जिस ग्रह की महादशा आप पर चल रही हो, वो आपके लिए अनुकूल ही हो। अगर गलत ग्रह महादशा चल रही हो और उसी ग्रह का रत्न धारण कर लिया जाए तो उसका आपके जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे कुछ अनिष्ट होने का खतरा भी बना रहता है।
ये हमेशा ध्यान रखिए कि जिस दिन आप रत्न धारण कर रहे हैं, उस दिन आमावस्या, ग्रहण या फिर संक्रांति काल न हो।
आप किसी भी ग्रह का रत्न माह के कृष्ण पक्ष में धारण नहीं करना चाहिए, शुक्ल पक्ष में ही रत्नों को धारण करें।
चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी तिथि में भी रत्नों को धारण नहीं करना चाहिए।
ये ध्यान रखें कि रत्न धारण करने वाले दिन गोचर में चंद्रमा राशि से चौथा, आठवां और बारहवां नहीं होना चाहिए।
स्त्रियों को माहवारी के दिनों में रत्न को धारण नहीं करना चाहिए-
नीच ग्रहों के रत्न धारण करने से सदैव बचना चाहिए।
आप जिस भी ग्रह का रत्न धारण करने जा रहे हैं, वो आपकी कुंडली में एक से ज्यादा पाप ग्रहों से युक्त नहीं होने चाहिए।
स्त्रियों को माहवारी के दिनों में रत्न धारण नहीं करने चाहिए।
आप जिस भी ग्रह का रत्न धारण कर रहे हैं, उसकी महादशा में अगर पाप या शत्रु ग्रह की अंतर्दशा चल रही है तो भी रत्न धारण नहीं किया जा सकता है।
कुंडली में कालसर्प दोष हो तो-
ये याद रखिए कि 15 डिग्री से कम के ग्रह का रत्न तभी पहना जाता है, जब उसके साथ कोई शत्रु या फिर पाप ग्रह न बैठा हो।
सवा 4 कैरेट से कम और सवा 8 कैरेट से ज्यादा वजन का रत्न नहीं पहनना चाहिए। नहीं तो इसका कोई प्रभाव आप पर नहीं होगा।
अगर आफकी कुंडली में कालसर्प दोष हो तो राहु-केतु के रत्न गोमेद और लहसुनिया धारण नहीं करना चाहिए। आप चाहें तो इनके उपरत्न पहन सकते हैं।
अगर सूर्यग्रहण या फिर चंद्रग्रहण हो तो माणिक और मोती कभी भी धारण न करें। इनकी दूसरी धातुएं सोना और चांदी आप धारण कर सकते हैं।
अगर पितृदोष हो तो माणिक, मोती, गोमेद, लहसुनिया और नीलम न धारण करें।