आज का इंसान नई सोच के साथ इतना उत्साह से भर गया है कि वह अपने धार्मिक रीती रिवाज ही भूल गया है। उत्साहित लोग मंदिरों में उस वक्त केक काटते है, जब जन्माष्टकी, राम नवमी या हनुमान अष्टमी जैसे त्योहारों का अवसर होता है। भगवान का जन्मोत्सव भी लोग केक काटकर भी मनाते है।
भगवान के मंदिर में केक काटना : भगवान के सामने या भगवान के मंदिर में केक काटना निहायत अनुचित है। ऐसा करना शास्त्रोक्त रूप से भी गलत है तथा इससे भगवान अप्रसन्न हो सकते है, इस बात का ध्यान लोग रखते नहीं है। केक काटना या दीप बुझाना अपशकुन है। हमारी भारतीय संस्कृति में जन्म दिन मनाने की खुशियां दीप प्रज्जवलित करने से मनाई जाती है, लेकिन कतिपय लोगों द्वारा मोमबत्ती बुझाकर जन्म दिन मनाया जाता है, यह अपशकुन का ही प्रतीक है।