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Astrology

इस तरह करें शनिदेव की पूजा, धन-संपत्ति, सम्मान की होती है प्राप्ति

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 18 2020 1:07PM | Updated Date: Jul 18 2020 1:08PM
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शनिदेव लोगों को उनके कर्मों के हिसाब से ही फल देते हैं। साथ ही शनि की साढ़े साती दशा कई दुःखों, विपत्तियों से व्यक्ति के जीवन को भर देती है। ऐसे में शनिदेव की कुदृष्टि से बचने के लिए आप शनि देवता की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। साथ ही आप शनिदेव का व्रत भी कर सकते हैं। बता दें कि श्रावण मास में शनिवार का व्रत अगर आप प्रारंभ करते हैं तो उसका विशेष लाभ मिलता है।

इस तरह करें शनिवार का व्रत :

1. सूर्योदय से पहले यानी ब्रह्म मुहूर्त में उठकर व्यक्ति को नदी या कुएं के पानी से स्नान करना चाहिए।

2. इसके बाद पीपलल के पेड़ पर जल अर्पित करें।

3. शनि देवता की मूर्ति लें जो कि लोहे की हो। इन्हें पंचार्मत से स्नान कराएं।

4. इसके बाद चौबीस दल का कमल बनाएं। इस पर शनि की मू्र्ति पर को स्थापित करें।

5. फिर मूर्ति पर काला वस्त्र, फूल, काला तिल, धूप व तेल आदि अर्पित करें।

6. शनि के 10 नाम हैं जिनका उच्चारण पूजा के दौरान करना चाहिए। ये नाम कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर हैं।

7. इसके बाद पीपल के पेड़ के तने पर सूत का धागा 7 परिकर्मा कर बांधे।

8. उपरोक्त सभी कार्यों को अच्छे से करने के बाद शनिदेव के मंत्र का उच्चारण करें।

शनैश्चर नमस्तुभ्यं नमस्ते त्वथ राहवे।

केतवेअथ नमस्तुभ्यं सर्वशांतिप्रदो भव॥

9. व्यक्ति अगर 7 शनिवार तक शनिदेव का व्रत करता है और उन्हें श्रद्धापूर्वक याद करता है तो शनि के प्रकोप से मुक्ति मिल जाती है।

10. इसके बाद ब्राह्मणों को भोज कराएं। आप अपनी क्षमतानुसार यह कार्य कर सकते हैं।

11. आप लोहे की वस्तु, धन आदि का दान भी कर सकते हैं। इससे हर परेशानी दूर होती है।

शनिवार का व्रत करने से मिलता है लाभ : अगर व्यक्ति सूर्योदय के समय शनिदेव की पूजा करता है तो उसे विशेष फल मिलता है। साथ ही राहु, केतु की कुदृष्टि से भी सुरक्षा मिलती है। अगर शनिदेव खुश हो जाते हैं तो व्यक्ति को धन-संपत्ति, सम्मान आदि की प्राप्ति होती है। शनिदेव की पूजा करने के बाद आप शनिदेव की आरती भी कर सकते हैं। आरती के लिए क्लिक करें यहां।

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