भारतीय पंरपरा में स्त्री को पतिव्रता कहा जाता है और उसे एक समय में एक से अधिक पुरुषों से विवाह करने की अनुमति नहीं थी केवल विधवा होने पर वह दूसरा विवाह कर सकती है लेकिन एक पति के जीवित रहते हुए दूसरे विवाह की अनुमति नहीं दी गई। वैसे तो द्रौपदी का विवाह अर्जुन से हुआ था लेकिन उसे फिर भी पाँचों पांडवों की पत्नी बन कर रहना पड़ा था। महाभारत के दक्षिण भारतीय संस्करण की मानें तो द्रौपदी अग्नी में स्नान करती थी जिसकी वजह से वो कुंवारी रहती थी।
द्रौपदी के कुंवारेपन के पीछे पिछले जन्म की कहानी- द्रौपदी अपने पिछले जन्म में बेहद सुंदर होने के बावजूद भी कुंवारी थी। ऐसे में उसने भगवान शिव की आराधना कर के उन्हें खुश किया और वरदान में हड़बड़ी में पांच पति मांग लिए। शिव ने उसके वरदान को पूरा कर दिया लेकिन उसे ये भी चिंता थी कि 5 पतियों की पत्नी होने के कारण समाज उसे ठीक नजरिए से नहीं देखेगा इसलिए उसने इसके लिए भी वरदान माँगा। तो भगवान शिव ने उसे वरदान दिया कि वह अगले दिन सुबह उठते ही अपने कौमार्य को प्राप्त कर लेगी। इसी वरदान का फायदा उन्हें अगले जन्म में द्रौपदी के रुप में मिला। पांच पति होने के कारण ही द्रौपदी को पांचाली भी कहा जाता है।