रिश्ता बनना बहुत ही आसान होता है पर उसको निभाना बहुत ही मुश्किल होता है । बहुत ही कम लोग रिशों की गहराई को समझ पाते हैं । यहाँ तक की प्यार क्या होता है यह बात तो खुद प्यार करने वाले लोगों में से 80 % लोग नहीं जानते हैं । जरा सी बात पर या तो रिश्ता तोड़ लेते हैं या फिर गलत फहमियों का शिकार हो जाते हैं । इसको हम प्यार्व नहीं कह सकते हैं। प्यार कभी किसी भी बंदिश का मोहताज नहीं है । वह तो खुला पंछी है जो दिल का अहसास है । आज कल लोगों में रिश्तों को लेकर कुछ अलग भाव देखा गया है । ऊपर से लोग अपने रिश्ते को लेकर इतना ज्यादा सोचते हैं सारी सारी रात और सारा सारा दिन ।
कहीं ये न हो जाये कहीं वो ये न कर दे , कहीं वो ऐसा न कर रहे हों , मुझे धोखा न मिल जाये और भी कई सारी बाते हैं जो हमारे अंदर गलत भावनाओ को जन्म देती है । आज हम आपको इसी बारेक में कुछ खास बताने जा रहे हैं । यह जो बहुत ज्यादा सोचने की बीमारी है वह ज़्यादातर 15 साल से लेकर 35 साल तक के लोगों में ज्यादा देखि जाती है । यह वो समय होता है जब हमको हमारे पार्टनर को खो देने का खतरा सबसे ज्यादा लगता है । जब आप अपने रिश्ते के बारे में ज्यादा सोचने लगते हैं तो आप रिश्ते में होने वाली हर चीज को लेकर सवाल उठाने लगते हैं।
जिसकी वजह से रिश्ते में असुरक्षा की भावना पैदा होने लगती है जो आपके रिश्ते के लिए ठीक नहीं होती है। रिश्ते में कुछ भी होने के बारे में पहले से नहीं सोचा जा सकता है। अगर आप हमेशा यह सोचते रहते हैं कि भविष्य में रिलेशनशिप में क्या होगा तो आप आज को जीना भूल जाते हैं और भविष्य के बारे में ही सोचते रहते हैं। बहुत ज्यादा सोचने की आपकी यह आदत आपको एक तरह की तुलनात्मक स्थिति में दाल देती है जिससे की आपको रिश्ते में हानी होना तय है ।