बकरीद (Bakrid) का त्योहार इस साल 21 जुलाई को मनाया जाने वाला है. कोरोना महामारी को देखते हुए आंध्र प्रदेश सरकार ने बकरीद को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है. गाइडलाइन के मुताबिक भीड़भाड़ को रोकने के लिए ईदगाह या खुली जगहों पर नमाज पढ़ने पर रोक लगा दी गई है.
राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए आदेश के मुताबिक ईद उल अज़हा (बकरीद) की नमाज केवल मस्जिद में पढ़ी जा सकेगी. इस दौरान 50 फीसदी लोगों को ही अंदर जाने की इजाजत होगी और सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल रखा जाएगा. इस दौरान मास्क पहने रखना भी अनिवार्य कर दिया गया है. किसी को भी बिना मास्के प्रवेश नहीं दिया जाएगा.
बकरीद के लिए जारी किए गए नियमों में सभी लोगों को नमाज के लिए अपनी-अपनी मैट लाने के लिए कहा गया है और किसी के साथ भी गले नहीं मिलने या हाथ ना मिलाने की अपील की गई है.
बकरीद को कुर्बानी का दिन कहा जाता है. इसको लेकर एक कहानी प्रचलित है. कहा जाता है कि हज़रत इब्राहिम अलैय सलाम की कोई संतान नहीं थी. काफी मन्नतें मांगने के बाद उन्हें एक पुत्र इस्माइल प्राप्त हुआ जो उन्हें बहुत प्रिय था. इस्माइल को ही आगे चलकर पैगंबर नाम से जाना जाने लगा. एक दिन इब्राहिम को अल्लाह ने स्वप्न में कहा कि उन्हें उनकी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी चाहिए. इब्राहिम समझ गए कि अल्लाह उनसे उनके पुत्र की कुर्बानी मांग रहे हैं.
अल्लाह के हुक्म के आगे वे अपने जान से प्यारे पुत्र की बलि देने को भी तैयार हो गए. कुर्बानी देते समय इब्राहिम ने आंखों पर पट्टी बांध ली ताकि उनकी ममता न जागे. जैसे ही उन्होंने छुरी उठाई, वैसे ही फरिश्तों के सरदार जिब्रील अमीन ने बिजली की तेजी से इस्माइल अलैय सलाम को छुरी के नीचे से हटाकर एक मेमने को रख दिया. जब इब्राहिम ने अपनी पट्टी हटाई तो देखा कि इस्माइल खेल रहा हैं और मेमने का सिर कटा हुआ है. तभी से इस पर्व पर जानवर की कुर्बानी का सिलसिला शुरू हो गया.