अमृतसर। पंजाब के अमृतसर शहर के सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने तथा प्रदूषण को कम करने के लिए पुराने डीजल ऑटो को ई-ऑटो में बदलने के लिए स्मार्ट सिटी मिशन के तहत एक प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है, जिसके तहत ई-वाहनों को चार्ज करने के लिए शहर के अलग-अलग जगहों में चार्जिंग स्टेशन भी बनाए जाएंगे।
अमृतसर स्मार्ट सिटी की सीईओ कोमल मित्तल ने गुरुवार को बताया कि फ्रेंच डेवलपमेंट एजेंसी द्वारा पोषित तथा केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय द्वारा संचालित इस प्रोजेक्ट के तहत अमृतसर देश का पहला ऐसा शहर होगा जहां पर इतने बड़े स्तर पर ई-ऑटो को पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम का हिस्सा बनाया जाएगा जिसके लिए स्मार्ट सिटी मिशन के तहत ड्राइवरों को सब्सिडी देने के साथ-साथ उन्हें आसान दरों पर कर्ज भी मुहैया करवाया जाएगा।
मित्तल ने बताया कि पहले चरण में लगभग 7000 डीजल ऑटो बदले जाएंगे और शेष ऑटो दूसरे चरण में बदले जाएंगे। उन्होंने बताया कि बदले जाने वाले ऑटो रिक्शा को स्क्रैप कर दिया जाएगा ताकि वह फिर दोबारा शहर में या किसी दूसरी जगह पर न चल सकें। उन्होंने कहा कि ई-ऑटो पब्लिक ट्रांसपोर्ट का भविष्य है, जिससे न सिर्फ वायु प्रदूषण का स्तर शून्य होगा बल्कि ध्वनि प्रदूषण भी नहीं होगा। इसके साथ-साथ जहां डीजल और सीएनजी ऑटो की प्रति किलोमीटर ऑपरेशनल लागत क्रामश: 2.68 व 1.48 रुपये है, वहीं ई-ऑटो की सिफर 0.68 पैसे प्रति किमी है। डीजल और सीएनजी ऑटो की सालाना मेंटीनेंस लागत क्रामश: 16 हजार और 12 हजार रुपये है और ई-ऑटो की पांच हजार रुपये है। पंजाब सरकार द्वारा भी ई-ऑटो के लिए रूट परमिट फीस, मोटर व्हिकल टैक्स तथा पासिंग फीस से छूट दी गई है, जबकि डीजल और सीएनजी ऑटो में ऐसी कोई भी छूट नहीं दी जाती।
सीईओ ने बताया कि इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए डीजल ऑटो को बदलने के लिए ई-ऑटो का विकल्प चुना गया है जिससे न सिफर शहर के प्रदूषण के स्तर में कमी आएगी वहीं ऑटो रिक्शा चालकों की कमाई में भी काफी बढ़ोत्तरी होगी। सीईओ स्मार्ट सिटी ने बताया कि इस प्रोजेक्टर के तहत शहर में 20 से 25 जगहों की पहचान चार्जिंग स्टेशन बनाने के लिए की गई है, जिसके लिए ईओआई भी जारी किया जा चुका है। ई-ऑटो इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमेटिव टेक्नालॉजी तथा ऑटोमेटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा र्स्टीफाइड होते हैं जो कि मौजूदा ई-रिक्शा से काफी सुरक्षित होते हैं।
ई-ऑटो में इस्तेमाल होने वाली लीथियम ऑयन बैटरी न सिर्फ ई-रिक्शा में प्रयोग होने वाली लेड एसिड बैटरी से तीन-चार गुना ज्यादा समय तक चलती है बल्कि आधे समय में पूरी चार्ज भी हो जाती है। वहीं ई-ऑटो की अधिकतम स्पीड भी ई-रिक्शा से दोगुना 50 कि.मी प्रति घण्टा होती है। इस प्रोजेक्ट पर पिछले एक साल से काम चल रहा है। अभी करोना और लॉकडाउन के बाद पैदा हुए हालात के बाद ऑटो-रिक्शा ड्राइवरों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए सब्सिडी की राशि को पहले प्लान की गई राशि से बढ़ाया जा रहा है ताकि ऑटो-रिक्शा ड्राइवरों को ई-ऑटो खरीदने में ज्यादा आसानी हो। जल्द ही प्रोजेक्ट की फाइनल रिपोर्ट भी तैयार करके अगले साल जनवरी में प्रोजेक्ट की औपचारिक शुरुआत हो जाएगी।