नई दिल्ली। EPFO ने PF खाताधारकों के अकाउंट में 8.50 फीसदी की दर से ब्याज जमा करना शुरू कर दिया है। इसके बारे में ईपीएफओ ने एक ट्वीट कर जानकारी दी है। ईपीएफओ ने कहा है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 23.34 करोड़ खातों में 8.50 फीसदी की दर से ब्याज जमा किया गया है। ईपीएफओ के साथ श्रम मंत्रालय ने अभी हाल में बताया था कि पीएफ खाताधारकों के अकाउंट 8.5 फीसदी की दर से ब्याज दिया जाएगा। अब ईपीएफओ ने ब्याज की राशि जमा करना शुरू कर दिया है। PF खाते में 8.5 फीसदी के रेट पर ब्याज देने का ऐलान अक्टूबर ने सरकार ने किया था। वित्तीय वर्ष 2020-21 में हर पीएफ खाते में इसी दर से ब्याज जुड़ेगा। अक्टूबर महीने में सरकार ने इस फैसले को मंजूरी दी थी। नवंबर में दिवाली थी और उससे ठीक पहले अक्टूबर महीने में सरकार ने इस ब्याज दर का ऐलान किया था। इस फैसले से देश के करोड़ों ईपीएफ खाताधारकों को लाभ मिलेगा। पिछले वित्तीय वर्ष के लिए सरकार ने पीएफ जमा राशि पर 8.5 फीसदी ब्याज देने का फैसला किया था। इसका फैसला श्रम मंत्रालय के तहत चलने वाले सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी या CBT ने लिया था जो ईपीएफओ की नीति बनाने वाली सर्वोच्च संस्था है। अभी पीएफ में जमा पैसे पर 8.5 फीसदी की दर से ब्याज दिया जा रहा है। लेकिन पूर्व की ब्याज दरों से यह कम है। पिछले साल मार्च महीने में ईपीएफओ ने पीएफ जमा राशि पर ब्याज दर को घटाने का फैसला किया था। 2019-20 के लिए ब्याज दर 8।5 फीसदी तय की गई जो पिछले 7 साल में सबसे कम है।
यही दर इस वित्तीय वर्ष में भी चल रहा है जबकि 2018-19 में पीएफ की ब्याज दर 8।65 फीसदी थी। पूर्व के वर्षों में यह दर और भी ज्यादा थी। 2012-13 की तुलना में 2019-20 में मिलने वाली ब्याज दर सबसे कम थी और 2020-21 में यही दर दी जा रही है। साल 2016-17 में EPFO ने अपने सदस्यों को 8।65 फीसदी की दर से ब्याज दिया था। साल 2017-18 में यह दर 8.55 फीसदी हो गई। 2015-16 के आंकड़े देखें तो उस वक्त PF की दर आज की तुलना में 0.30 फीसदी ज्यादा थी। और भी पहले चलें तो PF की ब्याज दर और भी ज्यादा थी। 2013-14 में EPFO ने अपने मेंबर को PF जमा पर 8.75 फीसदी ब्याज दिया था। यही दर 2014-15 में भी थी जबकि 2012-13 में PF की ब्याज दर 8.5 परसेंट पर पहुंच गई। साल 2011-12 में PF की दर 8.25 फीसदी रही। इस तरह PF पर मिलने वाला ब्याज घटता-बढ़ता रहा है और यह अभी 8.5 फीसदी की दर से दिया जा रहा है।
EPFO ने अभी हाल में बताया कि सितंबर महीने में इस संगठन से 15.41 लाख नए लोग जुड़े। इससे कोरोना महामारी के बाद नौकरियों में हुई वृद्धि का संकेत मिलता है। EPFO ने कहा कि इससे देश में रोजगार की स्थिति का पता चलता है। उससे पहले अगस्त महीने में शुद्ध रूप से 14.81 लाख नए सदस्य जुड़े। यह आंकड़ा चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों के लिए शुद्ध पेरोल में बढ़ती स्थति को दिखाता है। मंत्रालय ने बताया कि कुल 14.81 लाख नए सदस्यों में से लगभग 9.19 लाख सदस्य पहली बार EPFO के सामाजिक सुरक्षा दायरे में आए। इस दौरान शुद्ध रूप से 5.62 लाख सदस्य EPFO से बाहर निकले और उसके बाद फिर इसमें शामिल हुए। इससे पता चलता है कि ज्यादातर सदस्यों ने EPFO के साथ अपनी सदस्यता को जारी रखने का फैसला किया। आयु के हिसाब से देखा जाए, तो अगस्त में 22 से 25 साल की आयुवर्ग में सबसे अधिक 4.03 लाख नामांकन हुए। वहीं 18 से 21 की आयुवर्ग में 3.25 लाख नामांकन हुए। इन आंकड़ों से पता चलता है कि पहली बार नौकरी पाने वाले बड़ी संख्या में संगठित क्षेत्र में शामिल हो रहे हैं। अगस्त माह में ईपीएफओ से जुड़ने वाले नए सदस्यों इनका योगदान लगभग 49.18 प्रतिशत का है। राज्यवार तुलना के अनुसार महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक के प्रतिष्ठान इसमें आगे रहे। इन राज्यों में सभी आयुवर्ग में ईपीएफओ सदस्यों की संख्या में 8.95 लाख का इजाफा हुआ, जो कुल वद्धि के आंकड़े का 60.45 प्रतिशत है।