नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) नीतिगत दरों की द्वैमासिक समीक्षा में आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए नीतिगत ब्याज दर-रेपो को वर्तमान स्तर पर बनाए रखने के साथ साथ नीतिगत रुख को अभी नरम रख सकता है।
कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से महंगाई बढ़ने और आर्थिक वृद्धि की राह में चुनौती पैदा होने के जोखिम के बीच आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यता में केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की समीक्षा बैठक आज शुरू हुई। इस समय रेपो दर लम्बे समय से चार प्रतिशत है। केंद्रीय बैंक इसी दर पर बैंकों को उनकी फौरी जरूरत के लिए धन उधार देता है। रेपो दर के बढ़ने से बैंकों के धन की लागत प्रभावित होती है और वे कर्ज महंगा करने को मजबूर होते हैं।