नई दिल्ली। सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया अब टाटा ग्रुप के नियंत्रण में आ जाएगी। सूत्रों के मुताबिक टाटा संस ने एयर इंडिया की खरीदारी के लिए सबसे ज्यादा कीमत लगाकर बोली जीती है। बता दें कि बिडिंग प्रक्रिया में दो बड़े प्लेयर्स में टाटा संस और स्पाइसजेट थे, लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि टाटा ने जीत हासिल कर ली है। बता दें कि एयर इंडिया को खरीदने वालों की रेस में टाटा संस समेत कई कंपनियां शामिल थीं। हालांकि टाटा ग्रुप की टाटा संस को ही सबसे बड़े दावेदार के तौर पर देखा जा रहा था। वर्तमान में टाटा समूह की एयर एशिया और विस्तारा में भी हिस्सेदारी है। स्पाइसजेट की ओर से अजय सिंह ने एयर इंडिया के लिए बोली लगाई थी। पहले किसी समय में इस कंपनी का नाम टाटा एयरलाइंस ही था। जे आर डी टाटा ने 1932 में टाटा एयर सर्विसेज शुरू की थी, जो बाद में टाटा एयरलाइंस हुई और 29 जुलाई 1946 को यह पब्लिक लिमिटेड कंपनी हो गई थी। 1953 में सरकार ने टाटा एयरलाइंस का अधिग्रहण कर लिया और यह सरकारी कंपनी बन गई।
सरकार ने घाटे से जूझ रही एयर इंडिया को बेचने के लिए जनवरी 2020 में विनिवेश प्रक्रिया शुरू की थी। उसी दौरान देश में कोरोना वायरस का संक्रमण शुरू हो गया। जिसके चलते यह प्रक्रिया करीब 1 साल तक अधर में लटक गई। इस साल अप्रैल में सरकार ने इच्छुक कंपनियों से कहा कि वे एयर इंडिया को खरीदने के लिए वित्तीय बोली लगाएं। इसके लिए 15 सितंबर अंतिम तारीख तय की गई थी। हाल ही में केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया था कि वित्तीय बोली लगाने के लिए अंतिम तारीख आगे नहीं बढ़ाई जाएगी। जिसके बाद बुधवार शाम तक सरकार के पास कई कंपनियों की वित्तीय बोली आ गई। सरकार ने इससे पहले वर्ष 2018 में एयर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाई। जिसके बाद सरकार ने इस साल कंपनी की शत-प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का ऐलान किया।
सूत्रों के मुताबिक एयर इंडिया पर कर्ज बढ़कर 43,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। एयर इंडिया ने ये सारा कर्ज भारत सरकार की गारंटी पर ले रखा है। जिसके चलते सरकार पर भार बढ़ता जा रहा है। विनिवेश के बाद एयर इंडिया को नए मालिक को ट्रांसफर करने से पहले भारत सरकार इस कर्ज का भुगतान करेगी। गौरतलब है कि विस्तारा एयरलाइन भी टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड और सिंगापुर एयरलाइंस लिमिटेड का एक ज्वाइंट वेंचर है। इसमें टाटा संस की 51 फीसदी हिस्सेदारी है। वहीं एयर एशिया में टाटा संस का हिस्सा 83।67% है।