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उपभोक्ता संरक्षण नियम में संशोधन का प्रस्ताव, E-commerce Platform पर आएगी पारदर्शिता

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 22 2021 5:55PM | Updated Date: Jun 22 2021 5:55PM
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नई दिल्ली। सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों  की रक्षा और बाजार में स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित  करने के लिए उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 में संशोधन का प्रस्ताव किया है। प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म में पारदर्शिता लाना और नियामक व्यवस्था को और मजबूत करना है । उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 में संशोधन को लेकर 15 दिनों के भीतर (6 जुलाई, 2021 तक) सुझाव मांगे गए हैं । उपभोक्ता मामलों के विभाग के अनुसार ई-कॉमर्स  में अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने 23  जुलाई से उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 को अधिसूचित किया  था। हालांकि, इन नियमों की अधिसूचना के बाद से सरकार को असंतुष्ट  उपभोक्ताओं, व्यापारियों और संघों से ई-कॉमर्स इकोसिस्टम में व्यापक  धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ कई शिकायतें मिली हैं।
 
इस तरह की  दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं में बढ़ोतरी ने बाजार में उपभोक्ताओं और व्यवसाय की  भावना को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है, जिससे कई लोगों को भारी  परेशानी और पीड़ा हुई है। ऐसा देखा गया है कि ई-कॉमर्स में नियामक निरीक्षण  की स्पष्ट कमी थी जिसके लिए  तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। इसके  अलावा, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के तेजी से विकास से मार्केटप्लेस ई-कॉमर्स  संस्थाओं ने अनुचित व्यापार प्रथाएं शुरू कर दी हैं जिसमें कुछ विक्रेताओं  को बढ़ावा देने के लिए खोज परिणामों में हेरफेर, कुछ विक्रेताओं को तरजीह,  अप्रत्यक्ष रूप से विक्रेताओं को उनके मंच पर संचालित करना, उपभोक्ताओं की  स्वतंत्र पसंद को प्रभावित करना, समाप्ति के करीब माल बेचना आदि शामिल हैं।
 
इसके अलावा,  ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर तीसरे पक्ष के विक्रेताओं द्वारा पारंपरिक फ्लैश  बिक्री पर प्रतिबंध नहीं है। लेकिन, कुछ ई-कॉमर्स संस्थाएं 'बैक टु बैक' या  'फ्लैश' सेल लाकर उपभोक्ता की पसंद को सीमित करती हैं, जिसमें प्लेटफॉर्म  पर बेचने वाला कोई विक्रेता इन्वेंट्री या ऑर्डर को पूरा करने की क्षमता  नहीं रखता है बल्कि प्लेटफॉर्म द्वारा नियंत्रित दूसरे विक्रेता के साथ  केवल 'फ्लैश या बैक टु बैक' ऑर्डर पूरा करता है। यह एक समान अवसर को रोकता  है, आखिर में ग्राहक की पसंद को सीमित करता है और कीमतों में वृद्धि करता  है।
 
उपभोक्ताओं के  हितों की रक्षा, उनके शोषण को रोकने और बाजार में स्वतंत्र व निष्पक्ष  प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के लिए  सरकार उपभोक्ता संरक्षण  (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 में प्रस्तावित संशोधनों का मसौदा साझा कर रही है।  प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म में पारदर्शिता लाना  और अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने के लिए नियामकीय व्यवस्था को और मजबूत  करना है। 
उपभोक्ता  संरक्षण अधिनियम, 2019 और नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए मुख्य  अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ 24७7 समन्वय  के लिए एक नोडल संपर्क व्यक्ति, उनके आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के  लिए अधिकारी और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उपभोक्ताओं की शिकायतों के निवारण  के लिए स्थायी रूप से रहने वाले शिकायत अधिकारी की नियुक्ति का प्रस्ताव  किया गया है। यह अधिनियम के प्रावधानों और नियमों का प्रभावी अनुपालन  सुनिश्चित करेगा और ई-कॉमर्स संस्थाओं को लेकर शिकायत निवारण तंत्र को भी  मजबूत करेगा।
 
प्रत्येक  ई-कॉमर्स इकाई के पंजीकरण के लिए रूपरेखा तैयार की गई है जिसमें उसे उद्योग  और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के पास अपना पंजीकरण कराना  होगा। पंजीकरण संख्या को वेबसाइट पर प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा, साथ  ही ई-कॉमर्स इकाई को दिए गए प्रत्येक ऑर्डर को भी दिखाना होगा। ई-कॉमर्स  संस्थाओं का पंजीकरण वास्तविक ई-कॉमर्स संस्थाओं का एक डेटाबेस बनाने में  मदद करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि उपभोक्ता इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से  लेनदेन करने से पहले ई-कॉमर्स इकाई की वास्तविकता को सत्यापित करने में  सक्षम हों।
 
यह सुनिश्चित  करने के लिए कि घरेलू निर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं के साथ ई-कॉमर्स  प्लेटफॉर्म पर उचित और समान व्यवहार हो, ऐसी व्यवस्था की बात कही गई है कि जब एक ई-कॉमर्स इकाई आयातित वस्तुओं या सेवाओं की पेशकश करे, तो उसके मूल  देश की पहचान करने के लिए एक फिल्टर तंत्र होगा और घरेलू सामानों के लिए  उचित अवसर सुनिश्चित करने के लिए विकल्प सुझाया जाएगा।
यह सुनिश्चित  करने के लिए कि उपभोक्ता उस स्थिति में प्रतिकूल रूप से प्रभावित नहीं हों,  जब विक्रेता लापरवाही के चलते सामान या सेवाएं देने में विफल रहता है और  मार्केटप्लेस ई-कॉमर्स इकाई द्वारा निर्धारित कर्तव्यों और देनदारियों को  पूरा करने में असफल रहता है । ऐसे में प्रत्येक मार्केटप्लेस ई-कॉमर्स इकाई  के लिए देयता (देनदारी या दायित्व) का प्रावधान किया गया है।
 
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