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स्टेनलेस स्टील उद्योग ने की कच्चे माल पर आयात शुल्क घटाने की मांग

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 17 2020 2:06PM | Updated Date: Dec 17 2020 2:07PM
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नयी दिल्ली। भारतीय स्टेनलेस-स्टील उद्योग ने आगामी आम बजट में कच्चे माल पर मौजूदा आयात शुल्क में कटौती करने की मांग करते हुये कहा है कि इससे घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।  वित्त मंत्रालय को भेजे प्रस्ताव में घरेलू स्टेनलेस-स्टील उद्योग की शीर्ष संस्था इंडियन स्टेनलस स्टील डेवलपमेंट असोसिएशन (इसडा) ने अपील की है कि फेरो-निकेल और स्टेनलेस स्टील स्क्रैप जैसे प्रमुख कच्चे माल के आयात पर लगने वाले 2.5 प्रतिशत बीसीडी को रद्द किया जाना चाहिए। फिलहाल यह कच्चा माल देश में उपलब्ध नहीं हैं जिसके कारण इनका आयात अनिवार्य है। 
 
इसडा ने यह मांग भी की है कि स्टेनलेस-स्टील निर्माण में उपयोग किए जाने वाले ग्रैफाइट इलेक्ट्रोड पर लागू 7.5 प्रतिशत आयात शुल्क को भी हटाया जाना चाहिए क्योंकि यह लागत का बड़ा हिस्सा है। साथ ही इसडा ने स्टेनलेस-स्टील के तैयार उत्पाद पर जारी आयात शुल्क को 12.5 प्रतिशत तक बढ़ाने की मांग की है ताकि यह कार्बन स्टील उत्पादों के बराबर लाया जा सके और अनुचित आयात को रोका जा सके। संगठन ने कहा कि ऐसे कदम उठाने से घरेलू निर्माण बढ़ेगा और ‘मेक इन इंडिया’  पहल को बढ़ावा मिलेगा।
 
इसडा के अध्यक्ष के के पाहुजा ने कहा कि सरकार ने आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के मद्देनज़र कईं सुधारात्मक पहल की हैं और भारतीय स्टेनलेस स्टील उद्योग ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन के लक्ष्य में योगदान करने के लिए तैयार है। यह उचित समय है जब सरकार उद्योग के लिए आवश्यक कच्चे माल को राजस्व का स्रोत न मानते हुए उसके आयात को सरल बनाये और घरेलू विनिर्माण उद्योग को प्रोत्साहन दे। इस पहल से घरेलू उत्पादकों को एक समान मौके मिलेंगे और उनकी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इससे एमएसएमई इकाईयां सशक्त होंगी। एमएसएमई क्षेत्र की घरेलू स्टेनलेस-स्टील उद्योग में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसके अतिरिक्त अत्यधिक आयात से घरेलू उद्योग को हानि हुई है।
 
कोविड-19 से जुड़ी दिक्कतों के बाद घरेलू उद्योग वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रहा है और अपनी क्षमता के कुल 60 प्रतिशत स्तर पर परिचालन कर रहा है। इसके मद्देनजर सरकार से शुल्क प्रणाली का पुनर्गठन करने की मांग की जा रही है ताकि स्टेनलेस-स्टील उद्योग, जिसमें अतिरिक्त रोज़गार पैदा करने की संभावना है, को प्रोत्साहन मिल सके।
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