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कृषि कानून-आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 9 2020 1:10PM | Updated Date: Oct 9 2020 1:11PM
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नई दिल्‍ली। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। हमारे लगभग 70 प्रतिशत लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि और अन्यसंबंधित गतिविधियों पर निर्भर हैं। यदि हमारे किसान अपनी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने और साथ ही अपने बच्चों की आकांक्षाओं को पूर्ण करनेके लिए आर्थिक रूप सेमजबूत नहीं हैं तो हम एक जीवंत और आत्मनिर्भर भारत का सपना नहीं देख सकते। स्वतंत्रता से लेकर अब तक, किसानों की भलाई के लिए व्यापक रूप से विचार-विमर्शकिया गया है और हमेशा उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से कुछ नीतिगत पहलों का पालन किया गया है।
 
जब से केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का गठन हुआ है, तब से किसानों के कल्याण का मुद्दा केंद्र बिंदु बना हुआ है।अगर सामान्य रूप से निष्पक्ष तौर पर वर्तमान व्यवस्थाकोतथा विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीकोदेखा जाए, तोकिसानों के लिए नीतियों में पूर्ण स्पष्टता है, जो कि उनके समग्र विकास का लक्ष्य है। यद्यपि हमारे जैसे जीवंत लोकतंत्र में विचारों की भिन्नता स्वाभाविक है परन्तु किसी को सबसे ज्यादा यह बात परेशान करती है, कि यदि कुछ अच्छा हो रहा है तो वह उसे स्वीकार करने को तैयार नहीं, जैसे किलंबे समय से भारी परेशानियों का सामना कर रहे, हमारी आशा के अग्रदूत-किसानों की सहायता करने के उद्देश्य से तैयार कियेगए कृषि कानून।
 
किसानों का कल्याण सीधे तौर पर उन्हें उनकी उपज से मिलने वाली कीमत से जुड़ा है कि खेती कितनी किफायती है और किसानों को अपनी उपज बेचने में कितनी स्वतंत्रता है। कई राज्यों में कुछ वर्ष पूर्व, फलों और सब्जियों को कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम के दायरे से बाहर लाने से बड़ी संख्या में किसान लाभान्वित हुए हैं, जिससे उन्हें अपनी उपज बेचने की स्वतंत्रता मिली है जहाँ वे सर्वोत्तम मूल्य प्राप्त कर सकते हैं। जिस तरह से कमीशन एजेंट और बिचौलिए हमेशा निर्दोष किसानों की तलाश कर उनका शोषण करते हैं, उसे समझने की जरूरत है। वे कृषि उपज को केवल उच्च दरों पर बेचने के लिए एकदम सस्ते दाम पर खरीदते हैं।
 
तीनों नए अधिनियमित कानून-कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) अधिनियम 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020-किसानों के लिए त्रिगुट व हितकारी प्रोत्साहन के रूप में आते हैं, जो हमारे कृषकों को लंबी अवधि तक समर्थ करने में प्रभावी होंगे और 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
 
पिछले कुछ वर्षों में, एपीएमसी द्वारा नियंत्रित मंडियों में किसान अपनी उपज बेचने के लिए विवश थे और बिचौलियों के आकर्षण का केंद्र भी। कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) अधिनियम 2020 का उद्देश्य एपीएमसी द्वारा विनियमित मंडियों के बाहर कृषि उपज की बिक्री की अनुमति देना है। कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार अधिनियम 2020 अनुबंध पर खेती का अवसर प्रदान करता है, जबकि आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 अनाज, दाल, आलू, प्याज और खाद्य तिलहन जैसे खाद्य पदार्थों के उत्पादन,आपूर्ति व वितरण को नियंत्रण मुक्त करता है।
 
ये कानून किसानों को प्रतिकूल मूल्य विविधताओं के खिलाफ संविदात्मक संरक्षण प्रदान करते हैं और उन्हें अनुकूल बाजार मूल्यों का लाभ उठाने की स्वतंत्रता भी देते हैं। किसानों को अब सही कीमत पर, सही समय और सही जगह पर अपनी उपज बेचने की स्वतंत्रता के साथ अधिकार दिया गया है।
 
किसानों को उनकी उपज के लिए पारिश्रमिक मूल्य मिले और उनकी आय और आजीविका की स्थिति में वृद्धि होयह सुनिश्चित किए बिना, एकआत्मनिर्भर भारत के विचार को एक स्थायी वास्तविकता में नहीं बदला जा सकता। हमें एक पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता है जहां किसानों और व्यापारियों को उनकी पसंद के कृषि उत्पादों की बिक्री और खरीद की स्वतंत्रता प्राप्त हो, जैसी गारंटी कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण)अधिनियम 2020 के प्रावधानों के तहत दी गयी है।
 
यह राज्य कृषि उपज विपणन कानून के तहत अधिसूचित बाजारों के भौतिक परिसर के बाहर अवरोध मुक्त इंटर-स्टेट और इंट्रा-स्टेट व्यापार और वाणिज्य को भी बढ़ावा देता है। किसानों को उनकी उपज की बिक्री के लिए कोई उपकर या लगान नहीं लिया जाएगा और उन्हें परिवहन लागत वहन नहीं करनी होगी।
 
इलेक्ट्रॉनिक रूप से निर्बाध व्यापार सुनिश्चित करने के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक व्यापार मंच होगा। किसान प्रत्यक्ष विपणन में खुद को सम्मिलित करने में सक्षम होंगे, जिससे बिचौलियों को समाप्त किया जा सकेगा, जिसके परिणामस्वरूप मूल्य की पूर्ण वसूली हो सकेगी। इसी प्रकार, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार अधिनियम 2020,  जमीनीस्तर पर किसानों को प्रोसेसर, थोक व्यापारी,एग्रीगेटर, थोक व्यापारी, बड़े खुदरा विक्रेताओं, निर्यातकों, आदि के साथ शामिल करने के लिए सशक्त बनाता है। यह फसलों की बुवाई से पहले ही किसानों को मूल्य आश्वासन प्रदान करता है।
 
अधिक बाजार मूल्य के मामले में, किसान न्यूनतम मूल्य के अतिरिक्त इस मूल्य के हकदार होंगे। यह किसान से प्रायोजक की ओर बाजार की अनिश्चितता के जोखिम को स्थानांतरित करेगा। पूर्व मूल्य निर्धारण के कारण, किसानों को बाजार की कीमतों के बढऩे और गिरने से बचा लिया जाएगा। यह किसान को आधुनिक तकनीक, बेहतर बीज और अन्य इनपुट का उपयोग करने में भी सक्षम बनाएगा। यह विपणन की लागत को कम करेगा और किसानों की आय में सुधार करेगा।
 
आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 अनाज, दाल, आलू, प्याज और खाद्य तिलहन जैसे खाद्य पदार्थों के उत्पादन, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रण मुक्त करता है। नए विधानों ने वित्तीय लाभ कमाने के लिए कई रास्ते खोल दिए हैं। इनसे तीन दिनों के भीतर भुगतान प्राप्त होगा। पूरे देश में दस हजार किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाए जा रहे हैं। ये एफपीओ छोटे किसानों को एक साथ लाएंगे और कृषि उपज के लिए पारिश्रमिक मूल्य सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे। अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के बाद, किसानों को व्यापारियों की तलाश नहीं करनी होगी। क्रय उपभोक्ता सीधे खेत से उपज उठाएगा।
 
विवाद की स्थिति में, बार-बार न्यायालय जाने की आवश्यकता नहीं होगी। जहां तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का सवाल है, केंद्र ने स्पष्ट किया है कि किसानों के पास सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर अपनी उपज बेचने का विकल्प होगा। मंडियां काम करना बंद नहीं करेंगी और व्यापार पहले की तरह जारी रहेगा। मंडियों में ई-नाम ट्रेडिंग सिस्टम भी जारी रहेगा।
 
इलेक्ट्रॉनिक मंच पर कृषि उपज में व्यापार बढ़ेगा, जिसके परिणामस्वरूप अधिक पारदर्शिता और समय की बचत होगी। किसानों को भयमुक्त करने के लिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनेकों बार दोहराया है कि खेत बाजार बंद नहीं होंगे और ये पहले की तरह ही काम करते रहेंगे। उन्होंने देश के प्रत्येक किसान को यह भी आश्वासन दिया है कि एमएसपी की प्रणाली पहले की तरह जारी रहेगी। इस साल रबी सीजन में, किसानों को गेहूं, अनाज, दलहन और तिलहन की खरीद के लिए एमएसपी में 1.13 लाख करोड़ रुपये दिए गए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक है। भारत में 85 प्रतिशत से अधिक छोटे या सीमांत किसान हैं।
 
इसके परिणामस्वरूप, उनकी उत्पादक सामग्री की लागत बढ़ जाती है और कम उत्पादन के कारण वे मुनाफा भी नहीं कमा पाते हैं। प्रधानमंत्री ने ठीक ही कहा है कि अगर किसान संघ बना सकते हैं, तो वे बेहतर निवेश और लाभ सुनिश्चित कर सकते हैं। वे खरीदारों के साथ बेहतर अनुबंध कर सकते हैं। आवश्यक वस्तु अधिनियम, 2020 में सुधारों के सन्दर्भ में, अब देश के किसान बड़ी मात्रा में अपनी उपज को ठंडे गोदामों में आसानी से जमा कर सकते हैं।
 
जब भंडारण से संबंधित कानूनी समस्याएं दूर हो जाएगी, तब कोल्ड स्टोरेज का नेटवर्क भी विकसित होगा और आगे बढ़ेगा। यह समय है कि हम किसानों को आधुनिक सोच के साथ देखें और उन्हें आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने में अधिक तरीकों से खुद को सशक्त बनाने में मदद करें।      
 
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