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बिजली संशोधन विधेयक वापस लें या स्थायी समिति को भेजें : एआईपीईएफ

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 7 2020 4:05PM | Updated Date: Jun 7 2020 4:05PM
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चंडीगढ़। ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने आज मांग की कि केंद्र सरकार या तो बिजली संशोधन विधेयक वापस ले ले या फिर संसद की स्थायी समिति के पास भेजे। एआईपीईएफ प्रवक्ता विनोद गुप्ता के आज यहां जारी बयान के अनुसार उनके संगठन ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के पास प्रस्तावित विधेयक पर अपनी आपत्तियां भेजी हैं और मांग की है कि सरकार को संसद में बहुमत के बूते विधेयक पारित करने से बचना चाहिए।
 
एआईपीईएफ ने रोष व्यक्त किया है कि केंद्र वर्तमान कानूनों में ऐसे संशोधन कर रहा है जो केंद्र व राज्यों की भूमिकाएं व जिम्मेदारियां बदल सकती हैं और जो संघीय भावना के विपरीत है। एआईपीईएफ ने कुछ प्रस्तावित संशोधनों जैसे नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर के गठन व ऐसे कदमों जो राज्यों के अधिकारों  का अतिक्रमण करते हैं, पर कड़ा ऐतराज किया है। इसके अलावा इस पर भी आश्चर्य जताया है कि विधेयक में केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली प्रणाली के निजीकरण का जिक्र न होते हुए भी सरकार ने देश के सभी केंद्र शासित प्रदेशों को बिजली वितरण प्रणाली का निजीकरण करने के निर्देश दिये।
 
एआईपीईएफ ने आरोप लगाया कि वितरण प्रणाली के निजीकरण से यह होगा कि निजी क्षेत्र लाभ वाले क्षेत्रों का चयन करेगा जिससे सरकारी बिजली कंपनियों के राजस्व में तीव्र कमी आएगी व वित्तीय संकट और गहरा व संभालने से बाहर हो जायेगा। एआईपीईएफ ने आरोप लगाया कि इसके अलावा बिजली खरीद समझौते लागू करवाने के लिए कानूनी प्राधिकरण के गठन, प्रस्तावित संशोधनों में राज्यों के नियामक आयोगों के अधिकार क्षेत्र के अतिक्रमण व प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) का मामला भी गड़बड़ है।
 
बिजली दरें तय करने को लेकर वर्तमान प्रणाली सही है जबकि सब्सिडी, क्रॉस सब्सिडी खत्म करने से ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली काफी महंगी हो जाएगी और कृषि उत्पादन के लिए बिजली का उपयोग हतोत्साहित होगा। एआईपीईएफ ने कहा कि डीबीटी व्यावहार्य नहीं होगी क्योंकि राज्य सरकारें पहले से वित्तीय संकट का सामना कर रही हैं और सरकारी बिजली कंपनियों को आवश्यक सब्सिडी का भुगतान नहीं कर पा रही हैं, ऐसे में वह लाखों कृषि उपभोक्ताओं को सब्सिडी कैसे भुगतान करेंगी। 
 
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