नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि योगदान नियम में तीन महीनों के लिए बदलाव किया है। सरकार के इस नए नियम के मुताबिक, मई से लेकर जुलाई के बीच कर्मचारी और नियोक्ता का ईपीएफ योगदान 12 फीसदी की जगह 10 फीसदी होगा। सरकार के इस फैसले के बाद कर्मचारियों की कॉस्ट टू कंपनी में बिना कोई बदलाव किए टेक होम सैलरी में इजाफा होगा। इससे नियोक्तओं पर भी दबाव कम होगा।
कुल 24 फीसदी की जगह 20 फीसदी होगा पीएफ योगदान- कर्मचारी और नियोक्ता बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता को 12 फीसदी हर महीने रिटायरमेंट फंड में डालते हैं। दो तरफ की रकममिलाकर यह कुल 24 फीसदी होता है। नए नियम के बाद यह 12 फीसदी से घटकर 10 फीसदी हो गया है, यानी ही अब कर्मचारियों की ईपीएफ अकाउंट में 24 फीसदी की जगह 20 फीसदी का ही योगदान होगा। यह केवल मई, जून और जुलाई महीने के लिए ही लागू है। सरकार के इस कदम से कर्मचारियों की टेक होम सैलरी में इजाफा होगा। यह कर्मचारी के महंगाई भत्ता और बेसिक सैलरी का 4 फीसदी होगा।
कितनी बढ़ जाएगी टेक होम सैलरी- मान लीजिए कि किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता मिलाकर प्रति महीने 10,000 रुपये मिलता है। पहले कर्मचारी और नियोक्ता की तरफ से कुल EPF योगदान 2,400 रुपये होता था। यह अब घटकर केवल 2,000 रुपये हो जाएगा। बाकी 400 रुपये कर्मचारी की टेक होम सैलरी में दी जाएगी।
श्रम मंत्रालय ने इस बारे में एक बयान भी जारी कर कुछ बातों को स्पष्ट किया है। मंत्रालय ने कहा, ईपीएफ योगदान को 12 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी करने के बाद कर्मचारियों की टेक होम सैलरी बढ़ जाएगी। उनके ईपीएफ अकाउंट में जाने वाले 4 फीसदी अब टेक होम सैलरी में जोड़ा जाएगा।
पीएफ योगदान में कटौती का पूरा लाभ कर्मचारी को- मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि कर्मचारी और नियोक्ता के योगदान में हो रही 2-2% कटौती का पूरा लाभ कर्मचारी के टेक होम सैलरी में मिलेगा। मंत्रालय ने बताया कि सीटीसी मॉडल के तहत पहले ही नियोक्ता की तरफ से किया जाने वाला योगदान उसके सीटीसी का हिस्सा होता है।
10 फीसदी से अधिक योगदान करने का भी विकल्प- श्रम मंत्रालय ने साफ किया कि अगर कोई कर्मचारी इन 3 महीनों के लिए अपने ईपीएफ अकाउंट में 10 फीसदी से ज्यादा योगदान देता है तो वो ऐसा कर सकता है। लेकिन, नियोक्ता के लिए जरूरी नहीं है कि वो इस रकम को मैच कर ही योगदान दें। इन कर्मचारियों पर नहीं लागू होगी यह कटौती- ईपीएफ योगदान में इस कटौती के समय ही सरकार ने बताया कि यह केंद्रीय कर्मचारियों पर लागू नहीं होगा। यानी कि उन्हें पहले की तरह ही नियोक्ता और कर्मचारी की तरफ से 12 फीसदी का ही योगदान करना होगा।