नई दिल्ली। चवालीस महीने पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज ने जब देश के दूरसंचार क्षेत्र में कदम रखा था तो शायद किसी ने यह कल्पना भी नहीं की होगी कि इस उद्योग में वर्षों से काबिज दिग्गज कंपनियों के सामने यह स्टार्टअप टिक पायेगा और अपनी सफलता का परचम लहरा देगा और विश्व का बड़े से बड़ा निवेशक कंपनी के साथ जुडने को लालायित होगा।
मुकेश अंबानी ने पांच सितंबर 2106 को रिलायंस जियो का पदार्पण किया और इसे लेकर दूरसंचार क्षेत्र का जो खाका खींचा था एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया जैसे दिग्गजों के बीच जियो कहां ठहरेगा ,इसे लेकर तरह-तरह की शंकाएं उठी, किंतु आज पूरी तस्वीर उल्टी है और जियो के आगे सभी दिग्गज कहीं ठहर नहीं पा रही हैं। जियो ने अपनी टेलीकॉम वाली छवि को भी तोड़ दिया है। जियो जिसको शुरू हुए अभी 4 साल भी पूरे नही हुए उसकी वैल्यू दुनिया ने 4 लाख 91 हजार करोड़ रु आंकी है।
जियो का कहना है कि पहले फेसबुक और सिल्वर लेक के बाद अब विस्टा जैसी कई और प्रौद्योगिकी कंपनियां जियो में निवेश करने के लिए कतारबद्ध हैं जो अपने क्षेत्र की नामी गिरामी और तकनीक क्षेत्र की फ्लैगशिप कंपनियां है। कंपनी का कहना है कि इससे एक बात साबित होती है कि रिलायंस जियो कोई टेलीकॉम कंपनी नहीं रह गई है और यह दुनिया की क्वालिटी डिजिटल टेक्नोलॉजी कंपनी का रुप ले चुकी है।
मात्र तीन हफ्तों में अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियों का जियो में 60596.37 करोड़ का निवेश जियो के भविष्य की कहानी बयां करता है। जियो के अध्यक्ष अंबानी शुरू से ही कहते आए हैं कि जियो केवल दूरसंचार कंपनी नही है और इसलिए इसका इस क्षेत्र की अन्य कंपनियों से कोई मुकाबला नही है।
यही नहीं जहां अन्य दूरसंचार कंपनियां बडे नुकसान झेल रही हैं ,जियो ने समाप्त वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में खरा मुनाफा 2331 करोड़ रुपये कमायी जो पहले की इसी अवधि के 840 करोड़ रुपये की तुलना में 177.5% अधिक था। तिमाही में जियो के साथ पौने दो लाख नेट नये ग्राहक भी जोडे। 30 मार्च तक उसके ग्राहकों की संख्या 38 करोड़ से अधिक हो चुकी थी। वित्त वर्ष की बात करें तो नये ग्राहकों में 26.3 प्रतिशत का इजाफा हुआ।